Sikkim Kranti Morcha History: लोकसभा 2024 के साथ-साथ देश में चार राज्यों के लिए भी विधानसभा चुनाव कराए गए थे. इन्हीं चार राज्यों में दो राज्यों या यूं कहें पूर्वोत्तर राज्यों का एसेंबली इलेक्शन भी इसमें शामिल है. ये दो नाम है अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम. इन दोनों ही प्रदेशों में 2 जून को नई सरकार के लिए मतगणना हो रही है. इस मतगणना में सिक्किम राज्य की बात करें तो बीते चुनाव की तरह इस बार भी यहां पर सिक्किम क्रांति मोर्चा ही सरकार बनाती नजर आ रही है. लेकिन क्या है सिक्किम क्रांति मोर्चा का इतिहास, कैसे जनता इस पार्टी पर कर रही है भरोसा ऐसे ही कुछ सवालों के साथ आइए जानते हैं एसकेएम से जुड़ी छोटी-बड़ी बातें.
सिक्किम विधानसभा में कुल कितनी सीटें
सिक्किम क्रांति मोर्चा का इतिहास जानने से पहले आइए जानते हैं इस प्रदेश का क्या है विधानसभा का हाल. बता दें कि सिक्किम में एसेंबली की कुल 32 सीट हैं. वहीं इस प्रदेश से एक सीट लोकसभा की भी है. अरुणाचल प्रदेश की तरह यहां एक ही चरण में 19 अप्रैल को मतदान संपन्न कराए गए थे. 19 अप्रैल को यहां के मतदाताओं ने अपनी नई सरकार के लिए मताधिकार का इस्तेमाल किया था. सिक्किम विधानसभा का कार्यकाल 2 जून 2024 को समाप्त हो रहा है. यही वजह है कि अन्य चुनावी नतीजों से पहले इस राज्य के नतीजे रविवार 2 जून को ही घोषित कर दिए जाएंगे.
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प्रेम सिंह तमांग का नेतृत्व
बीते विधानसभा चुनाव के बाद सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने सिक्किम में सरकार बनाई थी. प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में सरकार का गठन किया गया. यानी प्रेम सिंह तमांग सिक्किम के मुखिया बने. इन्हें के चेहरे पर एक बार फिर 2024 में एसकेएम ने चुनाव लड़ा है. इस बार भी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच मुकाबला माना जा रहा था. लेकिन शुरुआती नतीजों ने ही साफ कर दिया है कि एक बार फिर प्रदेश में सिक्किम क्रांति मोर्चा की सरकार बन रही है.
क्या है सिक्किम क्रांति मोर्चा का इतिहास
पूर्वोत्तर राज्यों में शुमार सिक्किम पर्यटकों के पसंदीदा स्थलों में से एक है. यहां की भौगोलिक संरचना सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. सिक्किम क्रन्तिकारी मोर्चा (SKM) के घटन की बात करें तो इसकी स्थापना 4 फरवरी 2013 को सोरेंग नाम के शहर में हुई थी. यानी इस दल को गठित हुए 10 वर्ष हुए हैं. इनमें से 5 साल ये दल सत्ता में रह चुका है. एसकेएम की स्थापना के दौरान भारती शर्मा को इस दल का अध्यक्षा चुना गया था खास बात यह है कि भारती शर्मा सिक्किम की किसी राजनीतिक दल की पहली महिला अध्यक्षा भी हैं.
एसकेएम की शुरुआत करने में प्रेम सिंह तमांग यानी पीएस गोले की अहम भूमिका रही. दरअसल पीएल गोले पहले डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एसडीएफ के प्रमुख लोगों में से एक थे. यही नहीं वह सिक्किम सरकार में मंत्री भी रहे. लेकिन वर्ष 2009 में उनका एसडीएफ प्रेसिडेंट और सिक्किम के पूर्व सीएम पवन कुमार चामलिंग से मनमुटाव हो गया.
उनकी आलोचनाओं के साथ पीएस गोले ने एसडीएफ को अलविदा कह दिया और सिक्किम क्रांति मोर्चा की स्थापना की. इसके पास पीएस गोले 2019 में एसकेएम के जीतने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने और उन्होंने सिक्किम में पवन कुमार चामलिंग का ढाई दशक का शासनकाल खत्म कर दिया. बता दें कि गोले के नेतृत्व में भी एसकेएम ने 2014 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी हासिल कर लिया था.
Source : News Nation Bureau