यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ का सिवनी मालवा से है विशेष नाता, क्‍या बीजेपी को मिलेगा फायदा

मध्य प्रदेश के समर में यूं तो विभिन्‍न पाटिर्यों के दिग्गज नेता मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. प्रत्‍याशी हो या स्‍टार प्रचारक, वोटरों को लुभाने के लिए वे उनसे कोई न कोई नाता जोड़ ही लेते हैं. चाहे वह भाषा से हो या बोली से या फिर स्‍थान के नाम से, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाता मध्यप्रदेश के 28 स्‍थानों से जुड़ा है. अगर देखा जाए जो सिवनी से उनका विशेष नाता है. यहां गोरखपुर नाम से कुल आठ स्‍थान हैं जो इतने उत्‍तर प्रदेश भी नहीं हैं.

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Drigraj Madheshia
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यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ का सिवनी मालवा से है विशेष नाता, क्‍या बीजेपी को मिलेगा फायदा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाता मध्यप्रदेश के 28 स्‍थानों से जुड़ा है

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मध्य प्रदेश के समर में यूं तो विभिन्‍न पाटिर्यों के दिग्गज नेता मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. प्रत्‍याशी हो या स्‍टार प्रचारक, वोटरों को लुभाने के लिए वे उनसे कोई न कोई नाता जोड़ ही लेते हैं. चाहे वह भाषा से हो या बोली से या फिर स्‍थान के नाम से, लेकिन उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाता मध्य प्रदेश  के 28 स्‍थानों से जुड़ा है. अगर देखा जाए जो सिवनी से उनका विशेष नाता है. यहां गोरखपुर नाम से कुल आठ स्‍थान हैं जो इतने उत्‍तर प्रदेश भी नहीं हैं.

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योगी आदित्यनाथ बीजेपी के स्‍टार प्रचारक हैं. उन्‍होंने गुजरात और कनार्नाटक के विधानसभा चुनाव  में कई हिन्‍दू मतों को सहेजा था. छत्‍तीसगढ़ के पहले चरण के चुनाव प्रचार में वोटरों को लुभाने के बाद अब वह दूसरे हिस्‍सों बीजेपी के पक्ष में हवा बना रहे हैं. मध्‍य प्रदेश के इस विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका अहम होगी. योगी सीएम होने के साथ-साथ गोरक्षपीठ के महंत भी हैं. गोरक्षपीठ नाथ साम्प्रदाय का आस्था का प्रमुख केंद्र है और बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही शहर का नाम गोरखपुर पड़ा. गोरखपुर से मध्यप्रदेश का बहुत लगाव है. शायद यही वजह है कि देशभर में गोरखपुर नाम से 51 गांव-क़स्बों में से 28 सिर्फ मध्यप्रदेश में हैं.

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राज्य में सबसे ज्यादा गोरखपुर नाम से गांव और कस्बे सिवनी जिले में

राज्य में सबसे ज्यादा गोरखपुर नाम से गांव और कस्बे सिवनी जिले में हैं. यहां कुल आठ स्थानों के नाम बाबा गोरखनाथ पर गोरखपुर पड़ा है. धनोरा, घंसौर, छपरा, बरघाट, कैलारी तहसील में गोरखपुर नाम के गांव हैं. इसके बाद नंबर आता है डिंडौरी जिले का. यहां छह गांवों के नाम गोरखपुर है. इसके अलावा पश्चिम निमर, रायसेन, नरसिंहपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला और जबलपुर जिले में भी आपको गोरखपुर नाम के शहर या कस्बे का बोर्ड मिल जायेगा.

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मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं. अपने गांव-कस्बे के नाम के शहर गोरखपुर से कोई नेता उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री हो तो लोगों का झुकाव योगी की तरफ होना लाज़मी है. ये अलग बात है कि योगी आदित्यनाथ इस लगाव को वोटों में कैसे बदल पाएंगे ये तो आने वाला वक़्त तय करेगा.

एशिया का सबसे बड़े सोयाबीन प्लांट वाला सिवनी की सियासत

एशिया का सबसे बड़े सोयाबीन प्लांट वाला सिवनी मालवा विधानसभा सीट हौशंगाबाद जिले के में है. यहां की जनसंख्या 86, 195 है. इस क्षेत्र के लोग खेती पर ज्यादा निर्भर रहते हैं.
इस सीट पर 9 चुनाव हुए हैं, जिसमें से 6 बार कांग्रेस तो 3 बार बीजेपी को जीत मिली है. पिछले दो चुनावों में इस सीट पर बीजेपी को ही जीत मिली. बीजेपी के सरताज सिंह यहां के MLA हैं.

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2013 के चुनाव में सरताज सिंह ने कांग्रेस के दादा हजारी लाल को हराया था. उन्‍हें 78374 वोट मिले थे, वहीं दादा हजारी लाल को 65827 वोट. अगर 2008 के चुनाव की बात करें तो सरताज सिंह ही सीट के सरताज रहे और हारने वाले कांग्रेस के ही दादा हजारी लाल थे. सरताज सिंह को 2013 के मुकाबले कम वोट मिले थे. सरताज सिंह ने ये चुनाव 7 हजार वोटों से जीता था.

कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अर्जुन सिंह को हराने वाले सरताज सिंह के बारे में जानें

उज्जैन में जन्मे सरताज सिंह ने राजनीति की शुरुआत 1970 में की. उन्होंने 1989 से 1996 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रामेश्वर नीखरा को लगातार मात दी. उन्‍होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. इसके बाद 1998 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अर्जुन सिंह को हराया.2004 में एक फिर वह सांसद बने. बीजेपी ने उन्हें 2008 में सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में उतारा. इसके बाद से ही वह विधायक हैं. 2009 में वे मंत्री भी बने. 2016 में 75 साल से ज्यादा की उम्र होने के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया. अब वह कांग्रेस का दामन थामकर चुनाव मैदान में है.

Source : News Nation Bureau

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