हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं. भाजपा ने यहां पर तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाई है. इस जीत को लेकर कई फैक्टरों ने काम किया है. मगर एक चूक कांग्रेस पर भारी पड़ी है. हम आपको लेकर चलते हैं चुनाव से ठीक पहले जहां पर राहुल गांधी ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ एक बैठक में बड़ी नसीहत दी थी. मगर हुड्डा ने इसे खारिज कर दिया था. अगर हुड्डा उसे मान लेते तो आज कांग्रेस जीत का जश्न मना रही होती.
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लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. इस चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. 10 सीटों में कांग्रेस ने एक सीट आप (AAP) को दी थी. वहीं नौ सीटों पर कांग्रेस खुद लड़ी. कांग्रेस ने पांच सीटें जीतीं. इसके बाद से कांग्रेस विधानसभा चुनाव को लेकर अति उत्सहित थी. पार्टी ‘एकला चलो’ की नीति पर काम करने लगी. जिसका खामियाजा पार्टी को चुकाना पड़ा.
दरअसल, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बार-बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आम आदमी पार्टी के साथ प्रदेश में गठबंधन बनाने को लेकर बार-बार कहते रहे. मगर पूर्व सीएम अति आत्मविश्वास के साथ अपनी ‘एकला चलो’ की जिद्द पर अड़े रहे.
हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के संग बैठक की
राहुल गांधी ने एक माह पहले हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के संग बैठक की थी. हरियाणा चुनाव की तैयारियों को लेकर इस बैठक में यह चर्चा हुई कि इंडिया गठबंधन में साथी आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस को प्रदेश में गठबंधन की संभावनाओं को तलाशने की कोशिश करनी चाहिए. राहुल गांधी की सलाह थी कि किसी भी तरह से भाजपा को सत्ता से दूर रखा जाए. इस दौरान हुड्डा ने सीधे तौर पर मना तो नहीं किया. मगर गठबंधन को लेकर उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई.
राहुल गांधी की पहल पर आम आदमी पार्टी के नेता भी उत्साहित थे. वे आगे भी आए. दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा चली. सीट शेयरिंग की बात हुई तो आप ने 10 सीटों की डिमांड की. मगर कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने उन्हें 4 से 5 सीटों से अधिक देना नहीं चाहा. इसके बाद गठबंधन नहीं बन सका.
AAP की ताकत में इजाफा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की इस छोटी भूल का खामियाजा हरियाणा कांग्रेस को सत्ता से दूर रहकर चुकाना पड़ा. आम आदमी पार्टी की ताकत हरियाणा में वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले बढ़ी है. हालांकि हरियाणा से आम आदमी पार्टी ने एक भी सीट हासिल नहीं की है, मगर उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है. इस बार उसे 1.79 प्रतिशत वोट हासिल हुए. पांच साल पहले हुए चुनाव में AAP को एक प्रतिशत मत हासिल हुआ था. देखा जाए तो AAP की ताकत अब हरियाणा में वोट शेयर के हिसाब से दोगुनी हो गई है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन होता तो कई सीटे आसानी से निकल सकती थीं. राहुल गांधी ने इस समीकरण को पहचान लिया था. मगर इसे समझने में भूपेंद्र हुड्डा चूक गए.