राहुल गांधी की वो 5 गलतियां जो पड़ गईं कांग्रेस पर भारी

कांग्रेस की चाहे न्‍याय योजना हो या राफेल के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरना या फिर एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े करना. कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल का हर दांव उल्‍टा पड़ गया.

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Drigraj Madheshia
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राहुल गांधी की वो 5 गलतियां जो पड़ गईं कांग्रेस पर भारी

राहुल गांधी का फाइल फोटो

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लोकसभा चुनाव के नतीजे/रूझान (Lok Sabha Elections 2019 Results ) में बीजेपी (BJP) की अगुआई वाला एनडीए (NDA) की एक बार फिर मोदी सरकार (Modi Once Again) केंद्र की सत्‍ता पर काबिज होगी. कांग्रेस की चाहे न्‍याय योजना हो या राफेल के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरना या फिर एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े करना. कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल का हर दांव उल्‍टा पड़ गया. चौकीदार चोर है का नारा पब्‍लिक को पसंद नहीं आया. देश की जनता अब भी मोदी को सबसे ज्‍यादा ईमानदार नेता मानती है. ऐसे में यह आरोप खुद कांग्रेस पर भारी गया. आइए जानें राहुल गांधी की वो 5 गलतियां जिसने डुबोई कांग्रेस की लुटिया...

1. चौकीदार पर राहुल बनाम मोदी

राहुल मोदी को चौकीदार चोर बताते रहे और पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे मुद्दा बना लिया, पहले दो चरणों के चुनाव में हर रैली में - मैं भी चौकीदार के नारे लगवाए, ट्विटर पर अपना नाम बदल दिया. उन्होंने 'मैं भी चौकीदार हूं' कैंपेन (Main Bhi Chowkidar Campaign) के तहत अपने ट्विटर हैंडल का नाम बदलते हुए चौकीदार (Chowkidar) नरेंद्र मोदी (PM Modi) कर लिया. मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक , अंतरिक्ष सैटेलाइट सबको चौकीदार से जोड़ दिया. मोदी ने चौकीदार के मुक़ाबले बाक़ियों को दागदार बता दिया. मोदी भ्रष्टाचार पर राहुल और कांग्रेस को तो घेरते ही रहे , बल्कि उनकी पूरी टीम भी राहुल को निशाने पर लेती रही ,चौकीदार चोर है वाले बयान पर राहुल को माफ़ी मांगनी पड़ी.

2.महागठबंधन में देरी

चुनाव से पहले जब कोलकाता में ममता बनर्जी के मंच पर विपक्ष एकजुट हुआ तो लग रहा था कि इस चुनाव में एक सशक्‍त गठबंधन एनडीए के खिलाफ मजबूत दावेदारी करेगा, लेकिन चुनाव की घोषणा के काफी बाद तक गठबंधन पर रार चलती रही. बिहार में देर से गठबंधन हुआ तो दिल्‍ली में बात बनते बनते बिगड़ गई. यूपी में पहले ही सपा-बसपा ने बाहर कर दिया था. ऐसे में राहुल गांधी समय रहते निर्णय नहीं लेने का खामियाजा भुगतना पड़ा.

3. अफ्स्पा और 124A समीक्षा करने का वादा

राहुल ने कांग्रेस के घोषणा पत्र में न्‍याय योजना के तहत 72000 देने के वायदे पर जनता को भरोसा नहीं हुआ. और तो और अफ्स्पा पर पुनर्विचार कर समीक्षा करने और 124A को ख़त्म करने की बात कांग्रेस को उल्‍टा पड़ गया. जिस समय राष्‍ट्रवाद के नशे में देश झूम रहा हो उस समय देशद्रोह की धारा हटाने की बात भला कहां किसी को भाएगा. पब्‍लिक में संदेश गया कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो आतंकियों के हौसले मजबूत होंगे.

4. हुआ सो हुआ

राहुल के ख़ास सैम पित्रोदा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि 1984 दंगों में जो हुआ सो हुआ, लेकिन मोदी सरकार को बताना चाहिए कि उसने पांच सालों में क्या काम किए हैं.पित्रोदा के इस बयान ने सिखों के दुखती रग पर हाथ रख दिया. सिख दंगों की पीड़ा झेल रहे लोगों के लिए यह अपमानजनक टिप्‍पणी बर्दाश्‍त के बाहर थी. बयान के बाद दिल्ली ,पंजाब , हिमाचल, और चंडीगढ़ में छठे और सातवें चरण में चुनाव होने थे , मोदी ने इस बयान को सिख दंगे और कांग्रेस कल्चर से जोड़ दिया.

5.कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं

समूचे विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं था. विपक्ष बस मोदी को हटाना चाहता था, लेकिन क्यों हटाना है पब्‍लिक को बता नहीं पाई. समूचे विपक्ष की रणनीति मोदी हटाओ के इर्द-गिर्द घूमती रही. कभी पूरे देश पर एकछत्र राज करने वाली सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इतनी दरिद्र दिखी कि बहुमत के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है लेकिन चुनाव लड़ी 230 सीटों पर. वहीं पहले एयर स्‍ट्राइक पर कांग्रेस का उंगली उठाना और चुनाव के दौरान कांग्रेस का दावा करना कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 6 बार सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, लोगों को भरोसा नहीं हुआ.

Source : DRIGRAJ MADHESHIA

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