लोकसभा चुनाव 2019 में कुल सात फेज में वोटिंग होनी है. दो चरणों के मतदान क्रमशः 12 और 19 मई को होने हैं. मोदी दोबारा आएंगे कि नहीं यह काफी हद तक उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में अकेले 71 पर जीत हासिल की थी. इस चुनाव में 7 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. वहीं सपा 78 सीटों पर चुनाव लड़ी और केवल 5 सीटें ही जीत पाई, जबकि सभी सीटों पर लड़ने वाली बीएसपी के हाथ खाली रहे.
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2014 के चुनाव में सपा और बसपा दोनों अलग-अलग लड़ रहे थे. ऊपर से मोदी लहर भी सबसे बड़ा फैक्टर था. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थियां 2014 से काफी जुदा हैं. इस बार सपा-बसपा-आरएलडी का गठबंधन बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. राज्य में आधे से अधिक सीटों पर जनता ने अपना फैसला सुना दिया है.
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पहले चरण में राज्य की 8, दूसरे में 8, तीसरे में 10, चौथे में 13 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं. पांचवें चरण में 14 सीटों पर वोटिंग जारी है. अगर पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो उत्तर प्रदेश की 32 ऐसी सीटें हैं जहां सपा-बसपा के वोट मिलाने पर बीजेपी से ज्यादा हो रहे हैं. (देखें टेबल)
बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यहीं वो आंकड़े हैं जो उसके लिए सिरदर्द भी साबित हो सकते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा 31 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. उसे बीजेपी के 42 फीसद वोटों के मुकाबले 22.3 फीसद वोट हासिल हुए. लेकिन सपा की एक कमजोरी इस चुनाव में ये देखने को मिली कि 403 विधानसभा में से केवल 42 विधानसभा क्षेत्रों में उसके लोकसभा प्रत्याशी लीड कर पाए.
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वहीं बीएसपी की बात करें तो वह 34 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही और 9 विधानसभा क्षेत्रों में पहले स्थान पर रही. 80 सीटों पर लड़ने वाली बीसपी को तो 19.8 फीसद वोट मिले पर एक भी सीट उसके खाते में नहीं आ पाई.
लोकसभा चुनाव 2014 में पार्टियों का प्रदर्शन
पार्टी | कुल प्रत्याशी | जीत | दूसरा स्थान | तीसरा स्थान | वोट% |
बीजेपी | 78 | 71 | 7 | 0 | 43.70% |
सपा | 78 | 5 | 31 | 30 | 22.80% |
कांग्रेस | 67 | 2 | 6 | 5 | 7.50% |
अपना दल | 2 | 2 | 0 | 0 | 1% |
बीएसपी | 80 | 0 | 34 | 42 | 19.80% |
रालोद | 8 | 0 | 1 | 1 | 0.90% |
अब 2019 की बात
इस बार स्थितियां अलग हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में अगर बीएसपी और सपा मिलकर लड़ते तो मोदी लहर के बावजूद बीजेपी उतनी सफल नहीं होती जितनी आज है. इसकी झलक कैराना, फूलपुर और गोरखपुर के उप चुनाव में दिख चुका था. शायद यही वजह है कि इस बार ये गठबंधन बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती बनकर उभरा है. लेकिन अंकगणित अपनी जगह और चुनाव अपनी जगह. चुनावों में गणित के फार्मूले और पिछले आंकड़े अक्सर मुद्दों पर भारी पड़ जाते हैं. नेता भले ही पार्टी बदल लें पार जरूरी नहीं उसके वोटर भी उसके साथ हों. अब तो 23 मई को ही पता चलेगा कि सपा और बसपा अपने कितने वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर करा पाए.
HIGHLIGHTS
- 32 सीटों पर सपा और बीएसपी के वोटों का योग बीजेपी से ज्यादा
- सपा और बीएसपी के वोटों को मिलाकर 42 फीसद वोट मिले थे दोनों को
- 23 मई को ही पता चलेगा कि सपा-बसपा के वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर हुए या नहीं
Source : DRIGRAJ MADHESHIA