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2019 लोकसभा चुनाव विश्लेषण: जानें हिमाचल में 2014 के चुनाव से अब तक कितना बदला राजनीतिक समीकरण

2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिमाचल की कुल 4 सीटों पर कब्जा करते हुए जीत दर्ज की थी. बीजेपी को 53.8 फीसदी वोट शेयर के हिसाब से 16,52,995 वोट मिले

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Vikas Kumar
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2019 लोकसभा चुनाव विश्लेषण: जानें हिमाचल में 2014 के चुनाव से अब तक कितना बदला राजनीतिक समीकरण

बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार धूूमल के हारने के बाद जयराम ठाकुर बनें हिमाचल प्रदेश के मु

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लोकसभा चुनाव 2019 पास ही में हैं और भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) मार्च के पहले हफ्ते में चुनाव के तिथियों की घोषणा करने की संभावना है. हमने भी चुनावों के लिए कमर कस ली है और हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं एक चुनावी सीरीज- पोल्स थ्रोबैक: '2014 लोकसभा चुनावों में क्या हुआ था? 2019 लोकसभा चुनाव में क्या होगा?' आइए हम हिमाचल प्रदेश राज्य में राजनीतिक परिदृश्य को देखें.

बीजेपी ने प्रदेश में 2017 में वापसी की और सत्तारूढ़ कांग्रेस को हराया. मुख्यमंत्री चुनाव के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल के विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी के जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया गया. 2014 लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते बीजेपी ने हिमाचल में बड़ी जीत दर्ज की और यह सफलता 2017 में भी जारी रही. यह राज्य अपने खास राजनीतिक अंदाज 'Yo-Yo Politics' के लिए जाना जाता है और हर पांच साल के बाद प्रदेश की कमान कांग्रेस और बीजेपी के बीच बदल जाती है. 2017 के पहले, बीजेपी 1990, 1998, और 2007 विधानसभा चुनावों में विजयी रही है जबकि कांग्रेस ने 1993, 2003, और 2012 विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की है. कांग्रेस नेता विरभद्र सिंह 1983 - 1985, 1985 -1990, 1993 - 1998, 2003 - 2007 और फिर 2012 - 2017 के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे जबकि बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल 1998 - 2003, और फिर 2007 - 2012 के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. प्रेम कुमार 1977-1980 के बीच भी मुख्यमंत्री रहे लेकिन जनता पार्टी के सदस्य के रुप में. आइये अब प्रदेश की राजनीति के बारे में विस्तृत चर्चा करते हैं.

2014 के लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश में क्या हुआ था?

2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिमाचल की कुल 4 सीटों पर कब्जा करते हुए जीत दर्ज की थी. बीजेपी को 53.8 फीसदी वोट शेयर के हिसाब से 16,52,995 वोट मिले. कांग्रेस पार्टी इन चुनावों में कुछ खास नहीं कर सकी और उसे 41 फीसदी वोट शेयर के हिसाब से 12,60,477 वोट मिले. बीजेपी के शांता कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार चंदेर कुमार को कांगड़ा में 1,70,000 से अधिक वोटों से हरा दिया. हमीरपुर चुनाव क्षेत्र में, प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग सिंह ठाकुर ने कांग्रेस नेता राजिंदर सिंह राणा को 98,000 वोटों से अधिक के अंतर से हराया. शिमला में भाजपा के वीरेंद्र कश्यप ने कांग्रेस के प्रत्याशी मोहन लाल ब्राक्टा को 84,000 से अधिक वोटों से हराया. मण्डी में, जहां वीरभद्र सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है, बीजेपी नेता राम स्वरूप शर्मा ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को 39,000 वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया.

हमारे विश्लेषण के अनुसार, 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी 59 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी. कांग्रेस सिर्फ 9 सीटों पर आगे चल रही थी. 2009 लोकसभा चुनावों में, बीजेपी को तीन सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस ने मण्डी की सीट पर कब्जा किया. 2009 में राज्य में पार्टी के लिए केवल वीरभद्र सिंह ही अकेले विजेता थे.


2017 विधानसभा चुनावों के परिणाम क्या थे ?

बीजेपी ने अपनी लोकसभा की सफलता को विधानसभा चुनावों में भी हिमाचल प्रदेश में जारी रखा और राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को बुरी तरह से हरा दिया. बीजेपी को प्रदेश में कुल 44 सीटें जीतीं और 48.7 फीसदी वोट शेयर के हिसाब से 18,46,432 वोट हासिल किए. बता दें कि हिमाचल प्रदेश मं कुल विधानसभा सीटें 68 हैं.


कांग्रेस 41.6 फीसदी वोट शेयर के साथ 21 सीटों पर सिमट गई. पार्टी को प्रदेश में 15,77,450 वोट मिले. जबकि बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल सज्जनपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए. 2012 विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 36 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी ने 26 सीटों पर जीत दर्ज की.

2019 में हिमाचल प्रदेश में वर्तमान परिदृश्य क्या है?

हिमाचल प्रदेश में राजनीति वर्षों से कांग्रेस और बीजेपी के इर्द- गिर्द घूमती रही है. बीजेपी एक बार फिर से प्रदेश की चारों सीटों पर जीत हासिल करना चाहेगी जबकि कांग्रेस, बीजेपी को ऐसा करने से रोकने का प्रयास करेगी. 1996 लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस प्रदेश में सारी सीटों पर कब्जा करने में सफल रही थी. कांग्रस आने वाले चुनावों की तैयारी पहले से ही शुरू कर चुकी है. पार्टी राज्य की चार लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगेगी.
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह चुनाव समिति के प्रमुख होने की संभावना है और विनोद सुल्तानपुरी, धनी राम शांडिल, विक्रमादित्य सिंह और कौल सिंह ठाकुर जैसे कई नेता लोकसभा टिकट के दावेदार हैं.

हमीरपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने 1996 में 9 बार जीत हासिल की, जब वह कांग्रेस से सीट हार गई. कांगड़ा को शांता कुमार का गढ़ माना जाता है. उन्होंने 1989, 1998, 1999 और फिर 2014 में चार बार सीट जीती हैं. मंडी की राजनीति में वीरभद्र सिंह, सुख राम और बीजेपी के महेश्वर सिंह का वर्चस्व रहा है क्योंकि इन सभी ने तीन बार सीट जीती थी. शिमला कांग्रेस पार्टी की जागीर रही है, लेकिन 2009 और 2014 में कांग्रेस यह सीट हार गई थी. राज्य में कोई तीसरी ताकत नहीं है और हिमाचल प्रदेश में इन्हीं दो राष्ट्रीय पार्टियों के बीच लड़ाई होनी है.

हिमाचल प्रदेश में न्यूज़ नेशन ओपिनियन पोल का क्या फैसला है?

न्यूज नेशन ओपिनियन पोल के मुताबिक, आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को 41 फीसदी वोट शेयर मिलने की संभावना है. कांग्रेस को 35 फीसदी वोट मिल सकते हैं. बीजेपी 3 सीटें जीत सकती है, कांग्रेस 2019 में 1 सीट जीत सकती है.
इसलिए, भाजपा को हिमाचल में आगामी लोकसभा चुनावों में एक सीट खोने का अनुमान है. पोल के मुताबिक, कांग्रेस इस बार राज्य में अपना खाता खोल सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी पर दोहरे अंकों की बढ़त है, जब उत्तरदाताओं से 2019 में उनके पसंदीदा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में पूछा गया था. मोदी को 47 फीसदी लोगों का समर्थन मिला, जबकि केवल 35 फीसदी ने राहुल गांधी का पक्ष लिया है.

Source : News Nation Bureau

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