साउथ इंडिया में बीजेपी अपना बिगड़ा गणित सुधारने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. इस बार जैसा समीकरण बन रहा है वैसे में बीजेपी को लगता है कि उत्तर भारत में वो 2014 का इतिहास दोहरा नहीं पाएगा. ऐसे में सत्ता तक पहुंचाने के लिए दक्षिण भारत सीढ़ी बन सकती है. पिछले लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत के 164 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को महज 7 सीट पर ही जीत मिली थी. बीजेपी इस बार पूरी कोशिश कर रही है कि तमिलनाडु, पुडुचेरी, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल से ज्यादा से ज्यादा सीट जुटा सके, ताकि उत्तर भारत में अगर पिछली बार की तुलना में इस बार नुकसान होता भी है तो दक्षिण भारत में बढ़े सीटों के जरिए पूरा किया जा सके.
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तमिलनाडु में बीजेपी का इतिहास बहुत बुरा रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी 39 सीट में से महज 1 सीट पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार वो 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारा है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश में है कि वो इन सभी सीटों पर जीत का जादू चला सके. तमिलनाडु में बीजेपी सत्ताधारी एआईएडीएमके,डीएमडीके, पीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही. पिछली बार (2014) उसने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार 5 सीट के साथ चुनावी मैदान में बीजेपी ने यहां दम ठोका है.
तमिलनाडु में इस बार बीजेपी एआईएडीएमके के साथ गठबंधन के बाद जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है. शुक्रवार को यानी आज पीएम नरेंद्र मोदी के नामांकन में तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम भी मौजूद रहे. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार के चुनाव के बाद आए नतीजे में तमिलनाडु कितना अहम रोल अदा करने वाली है.
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हालांकि तमिलनाडु में 18 अप्रैल को लोकसभा चुनाव खत्म हो गया. यहां उम्मीदवारों की लिस्ट ईवीएम में कैद हो चुकी है. इसके बावजूद पन्नीरसेल्वम का नरेंद्र मोदी के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होना इस बात को दिखाता है कि इस बार सत्ता में बीजेपी को पहुंचाने में एआईएडीएमके अहम रोल निभाने जा रही है. यहां पर एआईएडीएमके 20 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं. वहीं डीएमडीके 7 और पीएमके 7 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मतलब एआईएडीएमके की अच्छी सीटें आ जाती हैं तो बीजेपी के लिए फिर से सरकार बनाने में आसानी होगी.
Source : NITU KUMARI