पिछले साल हुए उपचुनाव में गोरखपुर से जीत दर्ज करने वाले निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो चुके हैं. इसके साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश की कम से कम आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर बीजेपी की संभावनाएं काफी मजबूत हो गई हैं. इन आधा दर्जन संसदीय सीटों पर निषाद वोट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
'महागठबंधन' से 30 वर्षीय प्रवीण निषाद का जाना जाहिर तौर पर सपा-बसपा गठबंधन को गोरखपुर, जौनपुर और मछलीशहर लोकसभा सीटों पर बेहद भारी पड़ सकता है. इन तीनों ही लोकसभा सीटों पर निषाद कुल आबादी के 10 फीसदी से अधिक हैं. यही नहीं, 4 से 5 फीसदी गणित के लिहाज से आजमगढ़, महाराजगंज और वाराणसी लोकसभा सीट के परिणामों को भी निषाद वोटर प्रभावित करते हैं. प्रदेश की कुल जनसंख्या में निषादों की भागीदारी 2.6 प्रतिशत है.
गौरतलब है कि 2018 के उपचुनाव में सपा-बसपा समर्थित प्रवीण निषाद ने गोरखपुर में बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला को 22 हजार मतों से पराजित किया था. इस सीट पर मिली हार प्रदेश बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका थी, क्योंकि यहां पर 1998 से लगातार पांच बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही कब्जा रहा था. यही नहीं, उपचुनाव में गोरखपुर सीट पर मिली विजय ने सपा-बसपा के प्रदेश स्तर पर गठबंधन को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई.
उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत के एक साल बाद ही प्रवीण निषाद ने पाला बदल बीजेपी का दामन थाम लिया. उनके पिता और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया. इसके पहले 2 अप्रैल को संजय निषाद और अखिलेश यादव ने 2019 आम चुनाव साथ-साथ लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन 4 अप्रैल को संजय निषाद सीएम योगी से मिले और अगले ही दिन संजय निषाद ने 'अखिलेश यादव से नाखुशी' जाहिर कर दी.
हालांकि निषाद पार्टी के बीजेपी से हाथ मिलाते ही सपा-बसपा गठबंधन ने गोरखपुर से राम भुवाल निषाद को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. राम भुवाल भी निषाद समुदाय से ही आते हैं. गोरखपुर से फिलहाल बीजेपी ने अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.
Source : News Nation Bureau