भोपाल सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के नाम के ऐलान के साथ ही ठंडी दिख रही मध्य प्रदेश की सियासी हवा अब दिलचस्प हो चली है. हिंदू आतंकवाद शब्द के जरिए देश की सियासत में खलबली मचा देने वाले दिग्विजय सिंह के नाम के ऐलान के बाद से ही बीजेपी के लिए बाज़ी पलटी हुई नजर आ रही थी. कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारकर ऐसा पासा फेंका था कि बीजेपी चारों खाने चित हो गई थी.
यह भी पढ़ेंः इंदौर को छोड़ मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर तस्वीर साफ, देखें बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री उमा भारती के इस सीट से चुनाव लड़ने से मना करने के बाद बीजेपी के लिए उम्मीदवार तय कर पाना मुश्किल होता जा रहा था. ऐसे में संघ को बीच में आना पड़ा और संघ ने कट्टर हिंदूवादी छवि वाली नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम सुझाया गया. गहन मंथन के बाद बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा के नाम का ऐलान कर दिया.भोपाल सीट पर लड़ाई विकास के बजाय हिंदुत्व की होगी. लेकिन क्या ये महज ध्रुवीकरण है या कोई औऱ समीकरण. पहले नजर डालते हैं भोपाल सीट के समीकरण पर...
भोपाल सीट का समीकरण
- भोपाल लोकसभा सीट पर करीब 19 लाख वोटर्स
- करीब 4.5 लाख वोटर्स मुस्लिम हैं
- भोपाल लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें
- 2 विधानसभा सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं
- दोनों सीटों पर इस बार मुस्लिम विधायक चुने गए हैं
- मुस्लिम वोटरों के बाद सबसे ज्यादा OBC वोटर
- भोपाल सीट पर तीसरे नंबर पर कायस्थ वोटर हैं
- भोपाल लोकसभा सीट पर करीब सवा लाख क्षत्रिय वोटर
- ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब 3.5 लाख है
- भोपाल सीट पर करीब 2 लाख SC- ST वोटर हैं
भोपाल के समीकरण साफ बता रहे हैं कि पहले उमा का नाम और फिर साध्वी के नाम के मायने क्या है. एक तरफ अल्पसंख्यक वोटरों की अच्छी खासी तादाद औऱ दूसरी तरफ दिग्विजय को हिंदू विरोधी बताने की रणनीति. दरअसल अतीत में दिग्विजय आरएसएस और हिंदुओं को लेकर कई विवादित बयान दे चुके हैं. पहले एक नजर दिग्विजय के विवादित बोलों पर
किन बयानों को लेकर निशाने पर रहे हैं दिग्विजय?
- मालेगांव विस्फोट में शामिल लोग RSS की विचारधारा से प्रेरित थे
- समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में शामिल लोग भी संघ की विचारधारा के थे
- जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं
- गांधी की हत्या करने वाला गोडसे भी कभी संघ से जुड़ा था
- RSS भारत में हिंसा और नफरत फैलाता है
- दिग्विजय आतंकी ओसामा को ओसामा जी कह चुके हैं
- दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने का आरोप है
- दिग्विजय पर हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ने का भी आरोप है
ऐसा नहीं कि दिग्विजय अपनी छवि से वाकिफ नहीं. यही वजह है कि उन्होंने लगातार अपनी छवि बदलने की कोशिश की. जिससे सवाल उठने लगे कि क्या दिग्विजय अब सॉफ्ट हिंदूत्व की राह पर हैं.
बदले-बदले से दिग्विजय सिंह
- नर्मदा परिक्रमा यात्रा कर छवि बदलने की कोशिश
- चुनाव से पहले शंकराचार्य और जैन मुनि का आशीर्वाद लिया
- रायसेन की प्रसिद्ध दरगाह पर सजदा कर सेक्यूलरिज्म का संदेश
- बीते 21 दिनों में 50 से ज्यादा हिंदू धार्मिक आयोजन में शामिल हुए
- भोपाल में RSS दफ्तर से सुरक्षा हटाने का भी विरोध किया था
अपने गढ़ के बचाने के लिए क्या बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड खेला है. ये सवाल प्रज्ञा ठाकुर का नाम सामने आते ही उठने लगे. .आखिर कौन है साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जिनपर आखिरी वक्त में मुहर लगी है
कौन हैं प्रज्ञा ठाकुर
- साध्वी प्रज्ञा और दिग्विजय सिंह एक दूसरे के धुर विरोधी हैं
- प्रज्ञा का आरोप है कि दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद का मुद्दा उठाया
- साध्वी प्रज्ञा को 2008 में मालेगांव ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किया गया
- साध्वी प्रज्ञा 9 सालों तक जेल में रहीं
- साध्वी के मुताबिक उन्हें जेल में लगातार 23 दिनों तक यातनाएं दी गई
- साध्वी प्रज्ञा ने पी चिदंबरम पर लगाया था कि उन्हें हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ कर झूठे केस में फंसाया
Source : Jitendra Sharma/Neeraj Srivastava