'छोरियां छोरों से कम है के', फिल्म दंगल का यह हिट डायलॉग भले ही हरियाणा की मिट्टी से जुड़ा हुआ हो लेकिन विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) में यह देखने को कम ही मिला. 1967 से लेकर 2014 तक कुल 12 विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) हुए लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिला उम्मीदवारों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई. 2014 में पहली बार आंकड़ा 100 के पार पहुंचा. वहीं वोट देने के मामले में भी महिलाएं पीछे रहीं.
1967 में पहली बार हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) हुए और कुल 8 मिला प्रत्याशी ही मैदान में मुकाबले के लिए खड़ी हुईं. वहीं 1968 में यह संख्या बढ़कर 12 हो गई. 1972 के चुनाव में इस संख्या में केवल 1 की वृद्धि हुई और यह पहुंची 13 पर.
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सबसे बड़ा उछाल देखने को मिला 1996 के चुनाव में जब यह पहली बार पिछले चुनाव के मुकाबले दोगुने ज्यादा महिलाएं मैदान में उतरीं. 1991 में जहां 41 महिलाओं ने चुनावी मैदान में ताल ठोकी वहीं 1996 में यह संख्या बढ़कर 93 पर पहुंच गई. 2000 के चुनाव में यह संख्या घटकर फिर से 49 पर आ गई. देखें टेबल..
चुनाव वर्ष |
पुरुष प्रत्याशी |
महिला प्रत्याशी |
1967 |
463 |
8 |
1968 |
386 |
12 |
1972 |
371 |
13 |
1977 |
651 |
20 |
1982 |
1068 |
27 |
1987 |
1287 |
35 |
1991 |
1844 |
41 |
1996 |
2515 |
93 |
2000 |
916 |
49 |
2005 |
923 |
60 |
2009 |
1154 |
68 |
2014 |
1235 |
116 |
14 साल में 4 से 12 हुई महिला विधायकों की संख्या
2000 के विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election ) में 49 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं. इनमें से केवल 4 ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2014 में 116 महिला प्रत्याशी थीं, जिनमें से 12 ने जीत हासिल की.
सियासत के अर्श पर चमकने वालीं महिलाएं
हरियाणा की कुछ महिला नेताओं ने देश ही नहीं विदेश में भी अपनी पहचान बनाई. इसमें सबसे बड़ा नाम देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का है. इनके अलावा देश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी भी हरियाणा की थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, पूर्व मंत्री किरण चौधरी, पुडुचेरी की उपराज्यपाल चंद्रावती, पूर्व सांसद श्रुति चौधरी, डॉ. सुधा यादव, कैलाशो सैनी भी हरियाणा से ही हैं.