न तो यह कोई कयास है और न ही कोई भविष्यवाणी. यह सोलह आने सच है. आंकड़े गवाह हैं और इनके मुताबिक नंबर गेम में 'शाह' के आगे कहीं नहीं टिकती 'ममता'. 'राहुल' तो कहीं मुकाबले में ही नहीं हैं. यहां तक कि 'मोदी' पर भी 'शाह' भारी है. लोकसभा चुनाव अब आखिरी दौर में है. सातवें चरण के चुनाव के साथ ही अब सकी निगाहे 23 मई को आने वाले नतीजों और उससे पहले 19 मई को वोटिंग के बाद एग्जिट पोल पर होगी. पिछले 5 साल से जहां पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार चर्चा में रहे. पिछले एक हफ्ते से शाह, मोदी और ममता काफी ट्रेंड कर रहे हैं. चुनाव के दौरान बंगाल में हिंसा, ममता बनर्जी के तेवर, अमित शाह का रोड शो हावी रहा. अभी वोटिंग में दो दिन बाकी हैं.
लेकिन 'शाह', 'मोदी', 'ममता', 'राहुल' से जुड़ी यह खबर न तो नेताओं की लोकप्रियता से संबधित है और उनके रैलियों के स्ट्राइक रेट से. यह इत्तेफाक है कि ये नाम उन गांवों के नाम से है जो इन नेताओं के नाम पर हैं. देश भर में वैसे तो 6 लाख से ज्यादा गांव हैं लेकिन अगर बात नेताओं के नाम पर गांवों की करें तो सब भारी शाह हैं. शाह या शाह नाम से मिलते जुलते कुल गांवों की संख्या 98 है जबकि मोदी नाम के केवल 27 गांव हैं.
एक भी गांव का नाम राहुल नहीं
यह ताज्जुब की बात है कि देश भर में साढ़े छह लाख से अधिक गांवों में से किसी भी गां या कस्बे का नाम राहुल नहीं है. वैसे कई शहरों और कस्बों में राहुल विहार या राहुल नगर नाम से मोहल्ले तो हैं लेकिन 2001 की जनगणना के अनुसार राहुल नाम से कोई राजस्व गांव नहीं है.
2 ममता, एक मायावती और दो मुलायम
देश भर में मायावती नाम से केवल एक गांव है और वाह भी उत्तराखंड के चंपावत जिले में. ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिम बंगाल में ममता नाम का कोई गांव नहीं है. ममता मऊ नाम से एक गांव उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रामनगर तहसील में है तो दूसरा मध्य प्रदेश के गुना जिले में. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर यूपी में कोई गांव नहीं है. मुलायम नाम से केवल एक गांव है वो भी केरल के त्रिस्सुर जिले में है.
यूपी में शाह ही शाह
वैसे तो देशभर में ऐसे कुल 98 गांव या कस्बे हैं जिनके नाम के आगे या पीछे 'शाह' शब्द जुड़ा है. ऐसे सबसे ज्यादा गांव और कस्बे उत्तर प्रदेश में हैं. यूपी में 68 गांवों के नाम शाह हैं और बिहार में 15 वहीं मध्य प्रदेश में 6 हैं. गुजरात के सूरत जिले में केवल एक ही गांव का नाम शाह है.
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अगर 'मोदी' नाम के गांव कस्बों की बात करें तो देश के करीब 12 राज्यों में यह नाम कई गांव और कस्बों से जुड़ा है. सबसे ज्यादा मोदी नाम के गांव और कस्बे मध्य प्रदेश में हैं. देश भर के मोदी नाम वाले कुल 27 गांवों में 9 गांव केवल मध्य प्रदेश में हैं. शाजपुर, नीमच, उज्जैन, मंदसौर जिले में तो गांव का सीधा नाम ही मोदी है. जबकि खेजरा मोदी नाम का गांव दमोह में है तो खेड़ा मोदी नीमच और खैरा मोदी शिवपुरी में है. वहीं खेरिया मोदी नाम का एक गांव ग्वालियर में है.
राजस्थान में 6 गांवों के नाम मोदी
अजमेर में 2, झुंझुनूं और उदयपुर में एक-एक गांव के नाम मोदी है. जबकि नागौर जिले में कही किसी बोर्ड पर मोदी खुर्द लिखा मिल जाए तो चौंकिएगा मत. नागौर में मोदी चारण और मोदी खुर्द नाम से गांव हैं.
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अगर बात झारखंड की करें तो 3 गांव या कस्बे ऐसे हैं जिनके नाम के आगे या पीछे मोदी जुड़ा हुआ है. देवघर जिले में मोदी बंद है तो गोड्डा और हजारी बाग में मोदी चक. वहीं बिहार के कटिहर में भी एक मोदी चक है.
उत्तर प्रदेश में अब्दुल्लापुर मोदीः उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक गांव ऐसा है जिसका नाम अब्दुल्लापुर मोदी है.
पूर्वोत्तर राज्यों की बात करें तो मणिपुर के चंदेल जिले में एक गांव ऐसा है जिसका नाम मोदी है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और हरियाणा के सिरसा, अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग, छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर, आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद, पंजाब के फिरोजपुर में भी एक-एक गांव का नाम मोदी है.