लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त होने के भी दिलचस्प रिकाॅर्ड रहे हैं. मजेदार बात यह है कि राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दल व पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों के ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों तक के जमानत जब्त होते रहे हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की जबरदश्त लहर के बावजूद बीजेपी के 62 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके. आइए सबसे पहले जानें क्या होती है जमानत राशि और कब होती है जब्त..
क्या होती है जमानत
चुनाव लड़ने के लिए हर प्रत्याशी को जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है. जब प्रत्याशी निश्चित मत हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है. अर्थात वह राशि आयोग की हो जाती है. लोकसभा चुनाव में सामान्य उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 25 हजार तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 12 हजार 500 रुपये जमानत की राशि निर्धारित है.
यह भी जानें
- भारत में 25 साल से अधिक उम्र का कोई भी मतदाता लोकसभा चुनाव लड़ सकता है.
- चुनाव लड़ने के लिए उसे एक तय राशि चुनाव आयोग में जमा करनी होती है.
- यह अलग-अलग वर्गों और चुनावों के लिए अलग-अलग होती है.
- लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए ये रक़म 25,000 रुपये है
- लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार के लिए ये रक़म 12,500 रुपये है
- विधानसभा चुनावों के लिए यह राशि सामान्य वर्ग के कैंडिडेट के लिए 10,000 रुपये है
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- विधानसभा चुनावों के लिए यह राशि पिछड़े वर्ग के कैंडिडेट के लिए 5,000 रुपये है
- चुनाव लड़ रहे किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वैध मतों का छठा हिस्सा हासिल करना ज़रूरी है
- कुल पड़े वैध मतों का छठा हिस्सा 16.6 फीसदी होता है
- अगर किसी उम्मीदवार को कुल मतों का 16.6 % वोट नहीं मिला तो ज़मानत ज़ब्त हो जाती है
- यह राशि उम्मीदवार को लौटाने की बजाय राजकोष में जमा कर दी जाती है.
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- देश के पहले लोकसभा चुनाव में कुल 1,874 उम्मीदवार थे, जिनमें से 745 की जमानत जब्त हो गई थी.
- 2014 के लोकसभा चुनाव में 8,748 उम्मीदवारों में से 7,502 यानी लगभग 85 फीसदी उम्मीदवार की ज़मानत ज़ब्त हो गयी थी
- 2014 लोकसभा चुनाव में ज़ब्त की गयी ज़मानत राशि से चुनाव आयोग के खाते में कुल 14.5 करोड़ रुपये जमा हुए थे
- 2014 में बीएसपी के सबसे ज्यादा 501 उम्मीदवारों में से 445 और कांग्रेस के 179 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी.
उत्तर प्रदेश का हाल
आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार दशक के दौरान हुए लोकसभा चुनावों में कई बार तो 85 से 90 फीसदी तक उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई हैं. इतने बड़े पैमाने पर जमानत जब्त होने के बाद भी चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही. ये लगातार बढ़ती ही जा रही है.
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वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में 3,297 उम्मीदवार प्रदेश भर में खड़े हुए जिसमें से 3,062 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 1,288 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 1,087 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए.आंध्रप्रदेश में 506, बिहार में 512, महाराष्ट्र में 800 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
आयोग की होती है कमाई
कई बार ऐसे मामले में भी सामने आये हैं जब किसी उम्मीदवार ने चुनाव जीत लिया, लेकिन अपनी जमानत नहीं बचा पाया. ऐसा एक मामला 2012 के दिल्ली नगर निगम के चुनावों में सामने आया था. दरअसल, यहां जीतने वाले उम्मीदवार को चुनावों में कुल 6,681 मत मिले, लेकिन जमानत जब्त होने से बचने के लिए उन्हें 6,720 मत चाहिए थे. इसके बाद यह मामला कोर्ट में पहुंचा था.
Source : Sajid Asharf