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Arun Govil Profile: राम के किरदार से राजनीति तक का सफर, अरुण गोविल को क्यों मेरठ मिट्टी से है गहरा लगाव  

Arun Govil Profile: अरुण गोविल की जन्मस्थली मेरठ रही है. गोविल का कहना है कि उनकी घर वापसी हुई है. आइए जानें उनका राजनीतिक सफर

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Mohit Saxena
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Arun Govil

Arun Govil ( Photo Credit : social media)

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Arun Govil: देश में लोकसभा चुनाव में मतदान का अंतिम यानि सातवां चरण एक जून को होगा. भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. छह चरणों में सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. इनमें ऐसा ही एक नाम है अरुण गोविल का. बॉलीवुड और फिर सीरियल रामायण में राम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल इस बार मेरठ-हापुड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनावी प्रचार के दौरान अरुण गोविल ने मेरठ को जन्मस्थली के साथ कर्मभूमि बताया. अरुण गोविल का कहना था कि उनकी घर वापसी हुई है. अरुण गोविल का कहना है कि मेरठ की मिट्टी से उन्हें खास लगाव रहा है. मेरठ आना दिल को तसल्ली देने वाला है. आइए जानते हैं अरुण गोविल के बॉलीवुड से राजनीति तक का सफर.  

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पिता चंद्रप्रकाश गोविल एक सरकारी अधिकारी थे

अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1958 को यूपी के मेरठ शहर में था. उन्होंने अपना बचपन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बिताया. स्कूलिंग करने के बाद आगरा विश्वविद्यालय से विज्ञान में बीएससी डिग्री हासिल की. उनके पिता चाहते थे कि वह एक सरकारी कर्मचारी बनें, जबकि अरुण कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसके लिए उन्हें याद किया जाए. अरुण के पिता चंद्रप्रकाश गोविल एक सरकारी अधिकारी थे. अरुण छह भाई और दो बहनों में चौथे नंबर पर हैं. उनके बड़े भाई विजय गोविल की शादी पूर्व बाल अभिनेत्री और दूरदर्शन पर पहले बॉलीवुड सेलिब्रिटी टॉक शो 'फूल खिले हैं गुलशन गुलशन' की होस्ट तबस्सुम से हुई थी, जो 21 साल तक चली.

अभिनय शुरू करने का निर्णय लिया

अपने भाई के व्यवसाय में शामिल होने के लिए 1975 में वह मुंबई चले गए. मगर कुछ समय बाद वे यह महसूस करने लगे कि उनका काम में मन नहीं लग रहा है. उन्होंने कुछ और करने की कोशिश की. कॉलेज में नाटक करने के बाद उन्होंने अभिनय शुरू करने का निर्णय लिया. गोविल को भारतीय सिनेमा में पहला ब्रेक 1977 की मिला. यह फिल्म थी 'पहेली'. उनकी भाभी तबस्सुम ने उनका परिचय ताराचंद बड़जात्या से कराया. उन्होंने प्रशांत नंदा की फिल्म 'पहेली' से बॉलीवुड में डेब्यू किया. कनक मिश्रा की 'सावन को आने दो' (1979) और सत्येन बोस की 'सांच को आंच नहीं' (1979) में काम के बाद उन्हें बड़ा स्टारडम मिला.

छोटे पर्दे पर शुरुआत की

बाद में रामानंद सागर के टीवी सीरियल 'विक्रम और बेताल' (1985) से छोटे पर्दे पर शुरुआत की. इसके बाद उन्हें सागर की टीवी श्रृंखला 'रामायण' (1986) में भगवान राम का किरदार निभाया. उन्होंने 1988 में सीरियल में अग्रणी भूमिका निभाई. उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता. उन्होंने सागर के लव कुश और पद्मल्या टेलीफिल्म्स लिमिटेड के जय वीर हनुमान में राम के रूप में अपनी भूमिका को दोहराया. 

राम के रूप में अपनी आवाज दी

राम के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें बहुत बड़ी पहचान दिलाई. उन्हें टीवी श्रृंखला 'विश्वामित्र' में हरिश्चंद्र या टीवी श्रृंखला में बुद्ध जैसी अन्य भूमिकाओं में कास्ट किया गया. उन्होंने यूगो साको की इंडो-जापानी एनीमेशन  फिल्म रामायण: 'द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा' (1992) में राम के रूप में अपनी आवाज दी. उन्होंने वी.मधुसूदन राव की 'लव कुश' (1997) में लक्ष्मण की भूमिका भी निभाई. वर्ष 2020 में वह स्वर्गीय रामानंद सागर पर पुस्तक का प्रचार करने के लिए दीपिका चिखलिया, सुनील लहरी और प्रेम सागर के साथ द कपिल शर्मा शो में अतिथि के रूप में दिखाई दिए. हाल में उन्होंने वर्ष 2023 में आई 'ओ माई गॉड-2' फिल्म में एक छोटी सी भूमिका निभाई. यह पहली बार है कि वह राजनीति में उतरे हैं. वे इस बार भाजपा की ओर से मेरठ-हापुड की सीट पर चुनाव लड़े रहे हैं. 

Source : News Nation Bureau

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