2024 के चुनावी नतीजे आ चुके हैं. बिहार में 12 सीटें जीतने के बाद जेडीयू एनडीए का खेल बना और बिगाड़ दोनों ही सकती है. बुधवार की सुबह नीतीश कुमार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ एक ही फ्लाइट में देखें गए. जिसके बाद दोनों ही पार्टी के प्रवक्ताओं ने इसे एक संयोग बताया. हालांकि नीतीश कुमार 12 सीटों के साथ गेम चेंजर के तौर पर देखे जा रहे हैं. 10 साल पहले नीतीश कुमार को 'सुशासन बाबू' के नाम से जाना जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में पाला बदलने के बाद से नीतीश को 'पलटूराम' तक कहा जाने लगा है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार का पाला बदलने का इतिहास आज का नहीं बल्कि बहुत पुराना है.
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1. 2013 में पहली बार मारी थी पलटी
पहली बार जून, 2013 में बीजेपी और जेडीयू के 17 सालों पुराना गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश कुमार आरजेडी के साथ जुड़ गए थे. यह वह समय था जब अटल-आडवाणी युग की समाप्ती हो रही थी और मोदी युग का आगाज हो रहा था. 2013 में जैसे ही 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा के चुनाव अभियान प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया, नीतीश ने एनडीए के साथ ब्रेकअप कर लिया. 2014 में मोदी के चेहरे पर लोकसभा चुनाव लड़ा गया और प्रचंड बहुमत से एनडीए की सरकार केंद्र में आई. 10 साल बाद बीजेपी ने एक बार फिर से केंद्र में वापसी की थी. 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ी और उसे सिर्फ दो सीट पर जीत मिली. हार के बाद नीतीश कुमार ने सीएम की कुर्सी तक छोड़ दिया और हम पार्टी के संयोजक जीतन राम मांझी को बिहार का नया सीएम बनाया.
2. 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर बनाया महागठबंधन
2014 लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और 2015 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बुरी तरह से हराया. चुनाव जीतने के बाद नीतीश खुद सीएम बनें और 26 साल के तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाया. इसके साथ ही लंबे समय बाद एक बार फिर बिहार सरकार में लालू परिवार की एंट्री हुई.
3. 2017 में छोड़ा महागठबंधन का साथ
2015 में बनी महागठबंधन की सरकार को 2 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि नीतीश ने अपना पाला बदल लिया. नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर नीतीश ने भाजपा को सपोर्ट किया. वहीं, लालू परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया. नीतीश तक जैसे ही इसकी आंच पहुंची, उन्होंने लालू यादव को मैसेज दिया कि तेजस्वी यादव को इस्तीफा दे देना चाहिए. नीतीश के कहने के बाद भी लालू यादव नहीं मानें और फिर नीतीश ने ही सीएम पद से इस्तीफा देते हुए महागठबंधन की सरकार गिरा दी. महज कुछ घंटें में ही जेडीयू को बीजेपी का साथ मिल गया और एक बार फिर से नीतीश ने बिहार के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया.
4. 2022 में एनडीए का छोड़ दिया साथ
2020 में बिहार विधानसभा में एनडीए की जीत हुई. हालांकि इस चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और वह प्रदेश की तीसरे नंबर की पार्टी बन गई, लेकिन एनडीए ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखा. इस बीच 2022 में जेडीयू ने बीजेपी पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया और 9 अगस्त 2022 को भाजपा से अगल होते हुए तीसरी बार अपना पाला बदला. इस तरह से एक बार फिर नीतीश ने महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बना ली. इस बार फिर नीतीश मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी डिप्टी सीएम.
5. लोकसभा चुनाव से पहले फिर बदला पाला
वहीं, जनवरी, 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले ही एक बार फिर से नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ते हुए एनडीए का हाथ थाम लिया. 28 जनवरी को नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास किया और एक बार फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
नीतीश के इतने बार पाला बदलने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या 2024 में एक बार फिर से नीतीश पलटते हैं या फिर एनडीए के साथ बने रहते हैं?
HIGHLIGHTS
- 2013 में पहली बार मारी थी पलटी
- 10 सालों में बन गए 'पलटूराम'
- 5 बार बदल चुके हैं पाला
Source :Vineeta Kumari