Lok Sabha Election Results 2024: देशभर में इस समय लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के लिए वोटों की गिनती हो रही है. वहीं, अब तक के रुझानों ने एग्जिट पोल को गलत साबित कर दिया है और लोगों को परेशानी में डाल दिया है. बता दें कि ज्यादातर एग्जिट पोल ने एनडीए को 350 से ऊपर सीटें दी थीं. कई एग्जिट पोल के नतीजों में तो एनडीए को 400 का आंकड़ा छूते हुए बताया गया था. इसी तरह तीन दिन बाद आए चुनाव नतीजों ने सबको चौंका दिया है. अब तक की मतगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में बीजेपी बुरी तरह पिछड़ रही है, जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने जोरदार वापसी की है. अब आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन सी वजहें हैं जिनकी वजह से बीजेपी उम्मीद के मुताबिक सीटें पाने में नाकाम रही...
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केवल मोदी मैजिक के सहारे रहना
पिछले दो महीनों के दौरान बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के चुनाव प्रचार पर गौर करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उनका पूरा अभियान मुख्यतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर केंद्रित था. चुनावी रैलियों और सभाओं में पार्टी के सभी स्तरों के नेता स्थानीय मुद्दों से बचते हुए दिखाई दिए. पूरा प्रचार तंत्र केवल पीएम मोदी के करिश्मे पर आधारित था. बीजेपी के उम्मीदवार और कार्यकर्ता जनता से जुड़ने में असफल रहे, जिसका परिणाम पार्टी को भुगतना पड़ा. इसके विपरीत, विपक्ष ने लगातार महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर सरकार के प्रति नाराजगी को प्रभावी ढंग से लोगों के सामने प्रस्तुत किया.
BJP के वोटर्स की नाराजगी
लोकसभा चुनाव के परिणाम यह भी दर्शाते हैं कि बीजेपी को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने ही मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा. अग्निवीर योजना और पेपर लीक जैसे मामलों ने बीजेपी के खिलाफ साइलेंट विरोध का काम किया. मतदाताओं के बीच यह संदेश गया कि सेना में चार साल की सेवा के बाद उनके बच्चों का भविष्य अनिश्चित है. पेपर लीक के मुद्दे पर युवाओं की नाराजगी को बीजेपी समझने में विफल रही. यूपी के लखनऊ में पुलिस भर्ती परीक्षा को लेकर हुए बड़े विरोध प्रदर्शन ने इस असंतोष को और स्पष्ट कर दिया. पार्टी के नेता यह मानकर चल रहे थे कि केवल नारेबाजी और प्रचार से वे अपने समर्थकों और मतदाताओं को संतुष्ट कर सकते हैं, जो कि एक बड़ी भूल साबित हुई.
महंगाई
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस चुनाव में महंगाई के मुद्दे ने निर्णायक भूमिका निभाई. पेट्रोल-डीजल और जरूरी खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने सरकार के खिलाफ असंतोष का माहौल बनाया. विपक्ष इस मुद्दे की गंभीरता को पहले ही समझ चुका था, इसलिए उसने हर मंच से रसोई के बजट को प्रभावित करने वाली गैस सिलेंडर और वस्तुओं की महंगाई को प्रमुख मुद्दा बनाया. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बढ़ती महंगाई के लिए सरकार की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला. दूसरी ओर, महंगाई के मुद्दे पर भाजपा नेता और केंद्र सरकार के मंत्री सिर्फ आश्वासन देते नजर आए, जिससे जनता का असंतोष कम नहीं हुआ.
बेरोजगारी
2024 के लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी का मुद्दा अहम फैक्टर बनकर उभरा है. विपक्ष ने हर मंच पर सरकार को घेरा और बेरोजगारी पर जवाबदेही की मांग की. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया कि अगर उनकी सरकार केंद्र में आती है तो तुरंत 30 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी. मंगलवार को घोषित चुनाव परिणाम स्पष्ट रूप से यह दिखा रहे हैं कि राम मंदिर, सीएए लागू करने की घोषणा और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे भी बीजेपी को बेरोजगारी के खिलाफ बने नकारात्मक माहौल के प्रभाव से बचाने में नाकाम रहे. जनता ने रोजगार के मुद्दे को प्राथमिकता दी, जिससे भाजपा को नुकसान हुआ.
स्थानीय नाराजगी का नुकसान
वहीं आपको आपको बता दें कि इस चुनाव में बीजेपी को स्थानीय स्तर पर भी काफी नाराजगी का सामना करना पड़ा था. कई सीटों पर तो टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी मतदान की तारीख तक भी दूर नहीं हो पाई थी. कार्यकर्ताओं के अलावा कुछ सीटों पर सवर्ण मतदाताओं का विरोध भी देखने को मिला. कुल मिलाकर इस चुनाव में भाजपा ने उन्हीं मुद्दों पर भरोसा किया जो आम लोगों से कोसों दूर थे.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा चुनाव के अब तक के रुझानों ने सबको चौंकाया
- 5 वजहों से टूटा BJP का '400 पार' का सपना
- अब बीजेपी कर रही 300 के लिए संघर्ष
Source :News Nation Bureau