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Varanasi Lok Sabha Seat: पीएम मोदी के नामांकन के साथ जान लें वाराणसी सीट का सियासी समीकरण

Varanasi Lok Sabha Seat: क्या है वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास, जानें पीएम मोदी एक बार फिर यहां से जीत की हैट्रिक लगाने को तैयार

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Dheeraj Sharma
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Varanasi Lok Sabha Seat PM Modi Nominaton

Varanasi Lok Sabha Seat PM Modi Nominaton( Photo Credit : File)

Varanasi Lok Sabha Seat: देश की 18वीं लोकसभा में एनडीए को 400 पार पहुंचाने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी यानी काशी लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया.  पीएम मोदी ने पूरे शास्त्रीय विधान को ध्यान में रखते हुए अपने नामांकन का दिन चुना. इस बार भी उन्होंने काल भैरव के दर्शन किए और उनसे इजाजत लेकर वह नामांकन करने पहुंचे. खास बात यह है कि पीएम मोदी ने अपने नामांकन की जो तिथि चुनी है वह भी खास है वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि को एक खास योग भी बन रहा है. इस योग को कार्य सिद्धी योग कहा जाता है सर्वार्थ सिद्धी योग के नाम से भी इसे जाना जाता है. लिहाजा पीएम मोदी ने 400 पार के आंकड़े को हासिल करने के लिहाज से एक बार फिर वाराणसी से हुंकार भरी है. आइए जानते हैं कि वाराणसी लोकसभा सीट का सियासी समीकरण क्या है?

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कांग्रेस का गढ़ था वाराणसी

वाराणसी लोकसभा सीट जिसे बनारस और काशी के नाम से भी पहचाना जाता है. इसे हिंदू धर्म के एक पवित्र शहर के रूप में भी जाना जाता है. यही नहीं बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी यह शहर काफी अहम रहा है. इसे विश्व के प्राचीन शहरों में गिना जाता है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही ये लोकसभा सीट अब बीजेपी के सबसे बड़ी सीटों में से एक मानी जाती है. वजह है यहां से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव लड़ते आ रहे हैं. 

1957 में अस्तित्व में आई वाराणसी सीट

वाराणसी सीट की बात करें तो यह 1957 में अस्तित्व में आई. पहले ही आम चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. कांग्रेस के उम्मीदवार रघुनाथ सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी शिवमंगल को 71 हजार से ज्यादा मतों से मात दी. इसके बाद 1962 में भी कांग्रेस के रघुनाथ ने ही इस सीट पर जीत दर्ज की. उन्होंने जनसंघ कैंडिडेट रघुवीर को 45 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. 

1967 में पहली बार गैर कांग्रेसी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. भाकपा प्रत्याशी एसएन सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार को 18 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी. हालांकि 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की. वहीं 1977 को इमरजेंसी में जनता लहर में कांग्रेस की यहां से बुरी तरह हार हुई. 1980 में कांग्रेस दोबारा लौटी यूपी सीएम कमलापति त्रिपाठी ने यहां से जीत दर्ज की. 1984 में भी कांग्रेस यहां से सीट बचाने में सफल रही. 

1989 में कांग्रेस के हाथ से निकल गई सीट

1989 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट एक बार फिर निकल गई. जनता दल के अनिल शास्त्री ने कांग्रेस प्रत्याशी श्याम लाल यादव को 1 लाख 71 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी. 

1991 में BJP ने दी दस्तक

भारतीय जनता पार्टी ने 90 के दशक में वाराणसी सीट पर अपनी आमद दर्ज कराई. पहली बार भाजपा के शीश चंद्र दीक्षित ने माकपा के राजकिशोर के 40 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. 1996 में भी बीजेपी प्रत्याशी ने ही यहां से जीत दर्ज की. 1998 में भी बीजेपी उम्मीदवार शंकर प्रसाद जायसवाल ने यहां से दूसरी बार जीत हासिल की. 

1999 में जायसवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई. 

2004 में कांग्रेस की वापसी

बीजेपी की लंबी जीत के बाद एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की. पंजे के निशान पर 2004 में राजेश कुमार मिश्रा ने शंकर प्रसाद को 57 हजार से ज्यादा मतों से हराया. इसके बाद 2009 में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट को एक बार फिर बीजेपी के पाले में ला दिया. 

2014 से नरेंद्र मोदी काबिज

वहीं वाराणसी की लोकसभा सीट पर वो दिन भी आ गया जब यहां नरेंद्र मोदी ने लोकसभा का अपना पहला चुनाव लड़ा. यहां से उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी ताल ठोंकी, हालांकि चुनाव में नरेंद्र मोदी ने 3 लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की. 2019 में भी उन्होंने एक बार फिर यहां से जीत दर्ज की और 4 लाख से ज्यादा मतों से विरोधियों को हराया. 

अब हैट्रिक की तैयारी

अब तक मिले रुझानों को देखा जाए तो पीएम मोदी ने 2024 में भी वाराणसी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. वह यहां से तीसरी बार भी जीत की हैट्रिक लगाने जा रहे हैं. लोगों का जबरदस्त समर्थन उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है. 

Source : News Nation Bureau

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