Lok Sabha Election Result: लोकतंत्र के महापर्व का आज सबसे अहम दिन है. देश की 18वीं लोकसभा के लिए 4 जून 2024 को मतगणना शुरू हो रही है. इसके साथ ही इस बात का फैसला भी हो जाएगा कि मोदी सरकार एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो रही है या फिर बीजेपी के रथ को रोकने में कांग्रेस नेतृत्व में शुरू हुए इंडिया गठबंधन को कामयाबी मिल रही है. दरअसल चुनाव के नतीजे राजनीतिक दलों के भविष्य को भी तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. ऐसे में हर किसी की नजरें इन परिणामों पर टिकी होंगी, खास तौर पर कांग्रेस के लिए ये चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है कि क्योंकि कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस बार एक बार फिर इंडिया गठबंधन के साथ सरकार बनाने में कामयाब होगी, लेकिन कांग्रेस ये राह इतनी आसान नहीं है. पांच बिंदुओं में समझेंगे कि क्या कांग्रेस आसानी इस चुनाव में अपनी जगह बनाने में सफल होगी.
1. हिंदीलैंड पर मजबूत होगी पकड़
कांग्रेस के लिए बीते दोनों ही लोकसभा चुनाव बेहद खराब प्रदर्शन के साथ बीते हैं. 2014 और 2019 दोनों ही चुनावों में हिंदी पट्टी में कांग्रेस का सुपड़ा ही साफ हो गया. यही वजह रही कि पार्टी 2014 में 44 और पिछले लोकसभा चुनावों में 52 सीटों पर ही सिमट गई.
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2019 में, कांग्रेस यूपी ( रायबरेली में सोनिया गांधी ), बिहार ( किशनगंज ) और मध्य प्रदेश (छिंदवाड़ा) में सिर्फ एक-एक सीट पर ही कब्जा जमा पाई. जो कुल मिलाकर 149 सीटें हैं. ऐसे में हिंदी बेल्ट पर कांग्रेस की पकड़ काफी कमजोर हो गई.
राजस्थान , हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अपना खाता तक कांग्रेस नहीं खोल पाई. वहीं छत्तीसगढ़ में दो और झारखंड में एक सीट जीती. ऐसे में कांग्रेस ने 10 हिंदी भाषी राज्यों में 225 लोकसभा सीटों में से मात्र 6 पर सफलता प्राप्त की. ऐसे में सवाल यह है कि हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस इस बार वापसी कर पाएगी या एक बार फिर उसे यहां से निराशा ही हाथ लगेगी. केंद्र की सत्ता पर काबिज होना है तो कांग्रेस के लिए यहां पर अपना खूंटा गाढ़ना बहुत जरूरी है.
2. बीजेपी-कांग्रेस की टक्कर में किसको मिलेगा साथ, किसका छूटेगा हाथ
बीते लोकसभा चुनाव की बात करें तो वर्ष 2019 में कांग्रेस और बीजेपी ने 193 सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ़ चुनाव लड़ा था. इन सीटों पर इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशी या तो जीते या फिर उपविजेता रहे. इनमें वे सीटें भी शामिल हैं, जहां त्रिकोणीय मुकाबला था. खास बात यह है कि इनमें से सिर्फ 15 सीटें ही अपने पाले में लाने में सफल रहीं.
इस कांग्रेस को इसी समीकरण में भी सुधार लाने की जरूरत है. इस बार भी कांग्रेस-बीजेपी 194 सीटों पर आमने-सामने हैं. इनमें पश्चिम बंगाल, केरल, तेलंगाना या तमिलनाडु जैसे राज्यों की सीटें शामिल नहीं हैं. जहां त्रिकोणीय मुकाबला है.
3. क्या इंडी गठबंधन बड़े राज्यों में जादू दिखा पाएगा
कांग्रेस को केंद्र में लौटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि बड़े राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करे. इनमें बिहार, महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा ऐसे ही प्रदेश हैं जहां विपक्ष को 2019 में बीजेपी की सीटों की संख्या में सेंध लगाने की उम्मीद है. इंडिया ब्लॉक के लिए अग्नि परीक्षा इन्हीं राज्यों में है. इनमें से दो राज्य - हरियाणा और महाराष्ट्र - इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जबकि बिहार में अगले वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं. यानी लोकसभा चुनाव के नतीजे आने वाली विधानसभा को भी संकेत दे जाएंगे.
बिहार की बात करें तो बीते चुनाव में NDA ने 40 में से 39 सीटें जीती थीं, यूपी में 64 सीटों पर कब्जा जमाया. 10 बीएसपी, पांच एसपी और सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई. इस बार यूपी में एसपी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
वहीं राजधानी दिल्ली की बात करें तो आप और कांग्रेस अलग-अलग लड़ रहे थे लेकिन 2019 में बीजेपी ने सभी सीटें अपने पाले में कर लीं. इस बार आप और कांग्रेस दिल्ली और हरियाणा दोनों जगहों पर एक साथ हैं, जहां 2019 में स्थिति समान थी, महाराष्ट्र थोड़ा ज़्यादा मुश्किलों भरा लग रहा है. वजह दो बड़ी पार्टियों का टूटना है.
4. कर्नाटक से मिल सकती है बड़ी ऑक्सीजन
कांग्रेस के लिए दक्षिण राज्यों में कर्नाटक एक ऑक्सीजन की तरह काम कर सकता है. क्योंकि बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है. डीके शिवकुमार के नेतृत्व में पार्टी ने बीजेपी को जबरदस्त मात दी. कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनावों में जोरदार वापसी की और 224 में से 135 सीटें जीतकर राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाया.
वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस को सिर्फ़ एक सीट मिली थी, यानी इस बार कांग्रेस के लिए यहां विधानसभा चुनाव के नतीजों को दोहराना बड़ी चुनौती होगी.
5. क्या ममता पर दबाव बनाने में सफल रहेगी बीजेपी
टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन का प्रमुख हिस्सा है. ऐसे में कांग्रेस को केंद्र में अपना कब्जा जमाना है तो ममता का साथ बहुत जरूरी है, लेकिन यहां सवाल यह है कि ममता बनर्जी पर बीजेपी का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इस बार पश्चिम बंगाल में बंपर वोटिंग हुई है और जानकारों की मानें तो ये ज्यादा वोटिंग बीजेपी के पक्ष में माहौल बना सकती है. यानी ममता बनर्जी पर दबाव तो बन रहा है. हालांकि इसी राज्य में हिंसक घटनाएं भी सबसे ज्यादा हुई हैं.
यहां पर कांग्रेस और वाम मोर्चा ने गठबंधन बनाए रखा हो, लेकिन 2019 में बीजेपी ने टीएमसी और बाकी विपक्ष को चौंका दिया, 18 सीटें जीतीं और 40.64% वोट शेयर हासिल किया था. यहां पर सवाल यह है कि क्या TMC इस बार BJP के आक्रामक हमले को रोक पाएगी.
Source(News Nation Bureau)