Lok Sabha Result: अखिलेश-मायावती की जातीय गणित का मिथक टूटा!

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को आपेक्षित सफलता नहीं मिली है. इन दलों की 80 सीटों पर जातिगत गोलबंदी की कोशिश सफल नहीं हो सकी.

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
Lok Sabha Result: अखिलेश-मायावती की जातीय गणित का मिथक टूटा!

मायावती और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

Advertisment

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को आपेक्षित सफलता नहीं मिली है. इन दलों की 80 सीटों पर जातिगत गोलबंदी की कोशिश सफल नहीं हो सकी. जातियों में बंटी इन दोनों पार्टियों का हर समीकरण धरातल पर नाकाम साबित हुआ. इस तरह सपा-बसपा गठबन्धन के जातीय समीकरण के मिथक ध्वस्त हो गए.

दोनों दल राज्य में हो रहे परिवर्तन को समझने में नाकाम रहे. वे लोगों तक अपनी बात को जनता तक पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके. दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वोटों की फिराक में हुए इस गठबन्धन के सारे गणित ध्वस्त हो गए.

गठबंधन में कांग्रेस को शामिल न करना भी कुछ हदतक नुकसानदायक गया है. कांग्रेस के उतारे प्रत्याशी किसी-किसी सीट पर सपा बसपा पर भारी पड़ते दिखे. वह इनके लिए सचमुच वोटकटवा साबित हुए हैं.

इसे भी पढ़ें: इस दिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खाई थी कसम बनाएंगे कांग्रेस मुक्त भारत, बढ़ाया एक और कदम

गुरुवार को दोपहर एक बजे तक मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के खाते में 19.60 प्रतिशत वोट, जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के हिस्से 18.05 फीसद वोट आए थे. वहीं, सपा-बसपा गठबंधन में शामिल एक और दल अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को सिर्फ 1.56 प्रतिशत वोट ही मिले हैं. इन तीनों पार्टियों को मिले कुल मत प्रतिशत को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 39.21 प्रतिशत हो जाता है, जबकि अकेले भाजपा ने उप्र में 49.20 प्रतिशत वोट लपक लिए हैं.

सपा, बसपा और आरएलडी को जोड़कर जितने प्रतिशत वोट आए, उससे 10 प्रतिशत ज्यादा वोट अकेले भाजपा ने हासिल किए. उधर कांग्रेस पार्टी ने 6.15 प्रतिशत वोट हासिल किए.

इन आंकड़ों से साबित हो गया है कि मायावती और अखिलेश यादव ने जिस मकसद से पुरानी दुश्मनी भुलाकर चुनावी गठबंधन किया, वे उसमें असफल साबित हुए. दरअसल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी प्रबंधन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई शख्सियत सपा-बसपा के गठजोड़ पर भारी पड़ी. आंकड़े साफ दर्शा रहे हैं कि इस चुनाव में उप्र में जातिवाद की जकड़न पूरी तरह से टूट गई है.

और पढ़ें: Real Loser कौन: मायावती से गठबंधन के बावजूद भी अखिलेश नहीं दिखा पाए करिश्मा

राजनीतिक विश्लेषक प्रेमशंकर मिश्रा के अनुसार, 'विपक्ष 21वीं सदी में 90 के दशक की रणनीति पर चुनाव लड़ रहा था. वह जातीय अर्थमैटिक पर बिना कार्यकर्ताओं को विश्वास में लिए चुनाव मैदान में था. दरअसल सपा-बसपा का गठबन्धन दो बड़े नेताओं का गठबन्धन था.इसमें कार्यकर्ता अछूते थे. दोनों ने एक-दूसरे के वोट बैंक ट्रान्सफर की बातें तो की. लेकिन वह जमीन पर दिखाई नहीं दिया. जबकि भाजपा पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में थी. ऐसे में गठबन्धन परसेप्सन बचाने की लड़ाई लड़ रहा था। इनकी जमीन तो पहले भी नहीं थी। नतीजे के बाद परसेप्सन भी चला गया.'

Source : News Nation Bureau

Election Results lok sabha election results Akhilesh Yadav mayawati lok sabha election 2019 Assembly Electio election results 2019 General Election 2019 Cast Equetion Chunav Results today election rseults
Advertisment
Advertisment
Advertisment