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चुनाव के नतीजों से पहले एक बार फिर EVM बना खलनायक, हैकिंग नहीं स्‍वैपिंग है मुद्दा, जानें क्‍यों

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने से पहले एक बार फिर EVM को लेकर विपक्षी नेताओं की शंकाएं बढ़ती जा रही हैं.

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Drigraj Madheshia
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चुनाव के नतीजों से पहले एक बार फिर EVM बना खलनायक, हैकिंग नहीं स्‍वैपिंग है मुद्दा, जानें क्‍यों

EVM को लेकर विपक्षी नेताओं की शंकाएं बढ़ती जा रही हैं

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लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने से पहले एक बार फिर EVM को लेकर विपक्षी नेताओं की शंकाएं बढ़ती जा रही हैं. 2014 के चुनाव में एनडीए को मिले प्रचंड बहुमत के बाद से ही विपक्ष की आंख में EVM खटकने लगा था. तब से यह खलनायक बना हुआ है. पहले विपक्ष इसके हैकिंग का मुद्दा उठाते हुए चुनाव परिणामों को प्रभावित करने का आरोप लगाते रहे. पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्‍यों में बीजेपी की हार के बाद अब विपक्ष ने रणनीति बदली है. इस लोकसभा चुनाव में अब EVM की हैकिंग की नहीं Swapping की बात उठने लगी है.

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इसको लेकर लगातार तस्वीरें भी पोस्ट कर रही हैं. पार्टी के ट्विटर अकाउंट से एक तस्वीर साझा की गई है, जिसमें EVM किस तरह स्‍वैप हो रहा है वो समझाया गया है.

इस तस्वीर में दिखाया गया है कि किस तरह ईवीएम मशीन पोलिंग बूथ के लिए निकलती है और फिर पार्टी कार्यकर्ता बीच में आते हैं. और उसके बाद फिर चाहे पोलिंग बूथ हो, स्ट्रॉन्ग रूम हो और काउंटिंग सेंटर तक लगातार पार्टी कार्यकर्ता उसके बीच में आते रहते हैं. तेजस्वी यादव भी मुखर होकर ट्वीट कर रहे हैं. और ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रहे हैं. देश के अन्य हिस्सों से भी ईवीएम को लेकर शिकायतें सामने आ रही हैं. उत्तर प्रदेश के चंदौली में कुछ लोगों ने ईवीएम को बदलने का आरोप लगाया है.

पिछले साल हैकर ने किया था दावा

अमेरिका में राजनीतिक शरण चाहने वाले एक भारतीय साइबर विशेषज्ञ ने सोमवार को दावा किया कि भारत में 2014 के आम चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये 'धांधली' हुई थी. उसका दावा था कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है. इस दौरान मंच पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी मौजूद थे.

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दरअसल स्काईप के जरिये लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शख्स ने दावा किया था कि 2014 में वह भारत से पलायन कर गया था, क्योंकि अपनी टीम के कुछ सदस्यों के मारे जाने की घटना के बाद वह डरा हुआ था. शख्स की पहचान सैयद शुजा के तौर पर हुई है. उसने दावा किया कि टेलीकॉम क्षेत्र की बड़ी कंपनी रिलायंस जियो ने कम फ्रीक्वेंसी के सिग्नल पाने में बीजेपी की मदद की थी ताकि ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सके.

चुनाव आयोग ने किया था खारिज

चुनाव आयोग ने भारतीय मूल के अमेरिकी टेक एक्सपर्ट सैयद शुजा के उस दावे को पूरी तरह से खारिज़ किया था. चुनाव आयोग ने कहा था कि EVM कड़े सुरक्षा इंतज़ाम और निगरानी के बीच भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड में बनाया गया है. साल 2010 में टेक्निकल एक्सपर्ट्स की एक कमेटी गठित की गई है जिसकी सख़्त निगरानी में यह तैयार किया जाता है. इसे हैक नहीं किया जा सकता'

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