लगभग सौ फिल्ममेकर्स के बाद 200 के लगभग दिग्गज साहित्यकारों ने लोकसभा चुनाव से पहले एक खुला पत्र जारी कर मतदाताओं से अनुरोध किया है कि वे 'नफरत की राजनीति' को सिरे से खारिज करें. इस पत्र को जारी करने वालों में अरुंधति राय, गिरीश कर्नाड, अमिताव घोष और रोमिला थापर जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं.
आम मतदाताओं को संबोधित पत्र में लिखा है, 'सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे लोगों से सवाल करने वाले का उत्पीड़न या फर्जी या बेतुके आरोपों में गिरफ्तारी में खतरा बढ़ गया है. हम सभी इसको बदलना चाहते हैं...बदलाव की इस दिशा में सबसे पहला कदम जो उठाना होगा... वह है नफरत की राजनीति को मतदान कर बाहर का रास्ता दिखाना.'
गौरतलब है कि यह खुला पत्र आनंद पटवर्धन, सनल कुमार ससिधरन, देवाशीष मखीजा की अपील के बाद आया है. इस अपील में फिल्म जगत से जुड़े कुछ दिग्गजों ने आसन्न आम चुनाव में फासीवाद का अंत करने का आह्वान किया था. इन दिग्गजों का कहना है कि देश अब तक के सबसे गंभीर और चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है.
उन्होंने अपील की है कि देश बेहद संकट के दौर से गुजर रहा है. पिछले कुछ सालों से तो अलग धर्म, जाति का होने के कारण ही भीड़ पीट-पीट कर मार डाल रही है. नफरत की इस राजनीति ने देश को बांट कर रख दिया है. हम सभी इस राजनीति को बदलना चाहते हैं. हम बदलाव चाहते हैं. हम नहीं चाहते कि तर्क के पैरोकार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता किसी की गोली से मारे जाएं. हम इस तरह की हिंसा को पोषित और प्रोत्साहित करने वालों पर सख्त से सख्त एक्शन होता देखना चाहते हैं. और...इसके लिए हमें अपने वोट के जरिए नफरत की राजनीति करने वालों को रोकना होगा.
Source : News Nation Bureau