देश के चुनावी इतिहास में सर्वाधिक वोटों से जीत की बात करें तो महाराष्ट्र की बीड सीट का नाम सबसे आगे आता है. पिछले तीन बार के चुनावों से यह सीट बीजेपी के पास है. अब देखना यह है कि बीजेपी चौथी बार इस सीट को जीत पाती है या नहीं. 2014 में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेने के 9 दिन बाद ही मुंडे की एक्सीडेंट में मौत हो गई. इसके बाद बीड लोक सभा सीट पर उपचुनाव हुए. इस सीट पर गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे ने चुनाव लड़ा और 9,22,416 वोट पाकर 6,96,321 वोटों से जीत हासिल की. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के अशोक शंकरराव पाटील रहे जिन्हें 2,26,095 वोट मिले. तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार तेजस अंकुश घुमारे रहे जिन्हें 59,986 वोट मिले थे.
बीड लोक सभासीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती हैं. गेवराई, माजलगांव, आष्टी, कैज और परली विधानसभा सीटों पर बीजेपी का वर्चस्व है तो बीड में एनसीपी अपनी साख बचाए हुई है.
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बीड का इतिहास
1952 में बीड लोकसभा सीट का पहला सांसद पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी से जीता था. अगले दो चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली. 1967 में सीपीआई, 1971 में कांग्रेस, 1967 में सीपीआई (एम), 1980 में कांग्रेस (ई), 1984 में कांग्रेस, 1989 में जनता दल, 1991 में कांग्रेस के सांसद बने. 1996 में बीजेपी की रजनी पाटील इस सीट से सांसद बनीं और 1998,1999 में जयसिंहराव पाटील बीजेपी के टिकट से लड़कर सांसद बने. 2004 में पाटील ने पाला बदलते हुए एनसीपी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2009 में बीजेपी के टिकट से गोपीनाथ मुंडे पहली बार सांसद बने और 2014 में दूसरी बार. मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ लिए हुए 9 दिन ही हुए थे कि एक हादसे में उनकी मौत हो गई. इसके बाद 2014 के उपचुनाव में उनकी मंझली बेटी डॉक्टर प्रीतम मुंडे भारी बहुमत से जीतकर सांसद बनीं.
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लोकसभा में जीत का गणित
2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे को 5,53,994 वोट मिले थे वहीं एनसीपी के रमेश बाबूराव कोकाटे को 4,13,042 वोट मिले थे. 2014 में बीजेपी से ही गोपीनाथ मुंडे दूसरी बार इस सीट से चुनाव लड़े और 6,35,995 वोट पाकर जीत हासिल की. दूसरे स्थान पर एनसीपी के सुरेश रामचंद्र दास रहे जिन्हें 4,99,541 वोट मिले. तीसरे स्थान पर बीएसपी के दिगंबर रामराव राठौर रहे जिन्हें 14,166 वोट मिले थे. मोदी सरकार में मुंडे को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया था. पांच बार के विधायक रहे मुंडे महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के तगड़े दावेदार थे. अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले मुंडे का महाराष्ट्र में बड़ा जनाधार था. मंत्री बनने के कुछ रोज बाद ही 3 जून 2014 को गोपीनाथ मुंडे सुबह दिल्ली में एक कार दुर्घटना के शिकार हो गए. 2006 में प्रमोद महाजन की मौत के बाद बीजेपी के लिए ये दूसरा बड़ा झटका था, जब उनके कद्दावर नेता की असमय मौत हो गई थी.
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पेशे से डॉक्टर हैं प्रीतम मुंडे
गोपीनाथ मुंडे की एक्सीडेंट में अचानक मौत के बाद उनकी दूसरी बेटी प्रीतम मुंडे बीड लोक सभा सीट से चुनाव में उतरीं. प्रीतम पेशे से डॉक्टर हैं. उन्होंने भारत के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया. पिता की सहानुभूति लहर में सवार होकर प्रीतम ने कांग्रेस के अशोक पाटील को 6,96,321 वोटों से हराया. प्रीतम ने कुल वोटों के 70.24 फीसदी वोट पाए थे. प्रीतम की बड़ी बहन पंकजा मुंडे परली विधानसभा से विधायक हैं. प्रीतम दिग्गज बीजेपी नेता स्वर्गीय प्रमोद महाजन की भांजी हैं. राहुल महाजन और पूनम महाजन प्रीतम के कजिन हैं. 3 जून 2014 को प्रीतम के पिता गोपीनाथ मुंडे की दिल्ली में रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी.
Source : News Nation Bureau