12 मई को लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण की वोटिंग होगी जिसके अंतर्गत दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर वोट पड़ेंगे. दिल्ली की उत्तर पूर्वी सीट पर मुकाबला बहुत रोमांचक बन गया है. इस सीट से कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी तीनों पार्टियों ने इस सीट से अपने सबसे मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. विकास के मामले में पिछड़े उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद मनोज तिवारी को दोबारा मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने विकास के अनुभवी चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को टिकट दिया है, ये दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.
वहीं दिल्ली में शासन कर रही आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी अपने पूर्व प्रदेश संयोजक दिलीप पांडेय को उत्तर पूर्वी दिल्ली से मैदान में उतारा है. शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं. साल 1998 में उन्होंने पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा था तब उत्तर पूर्वी दिल्ली की सीट भी इसी परिसीमन में समाहित थी. उस समय शीला दीक्षित चुनाव हार गईं थीं. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से मनोज तिवारी पर ही उम्मीद जताई है. इस सीट को लेकर तीनों ही पार्टियों ने गंभीरता से लिया है.
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पिछले लोकसभा चुनाव (2014) में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार प्रोफेसर आनंद कुमार को हराया था. इस चुनाव में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे जय प्रकाश अग्रवाल तीसरे नंबर पर रहे थे. उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत पूर्वांचल के लोगों की संख्या बहुल है. यहां पर लगभग पांच लाख पूर्वांचल के लोग रहते हैं इसी वजह से इस भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी दोनों ने ही अपने उम्मीदवार पूर्वांचल से बिलांग करने वाले को ही चुना है. उत्तर पूर्वी दिल्ली में सबसे ज्यादा अनाधिकृत कॉलोनियां हैं. इन कॉलोनियों में बहुत ज्यादा समस्याएं हैं, यहां का हर व्यक्ति मूलभूल सुविधाओं से जूझता हुआ दिखाई देता है साथ ही यहां के लोग राजनीतिक रूप से परिपक्व माने जाते हैं. इस सीट की खासियत है कि यहां सभी जातियों के लोग रहते हैं. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 5 लाख के आस-पास है ऐसे में आप और कांग्रेस की नजर इस वोट बैंक पर टिकी है. पिछले चुनाव में यहां करीब 67 फीसद मत पड़े थे.
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प्रत्याशियों की बात करें तो मनोज तिवारी बीजेपी के स्टार प्रचारकों में शामिल हैं. वह प्रदेश अध्यक्ष हैं. इस नाते पूरी पार्टी का साथ उन्हें मिल रहा है. निगम चुनाव में जीत का सेहरा सिर पर बंधा हुआ है. पूर्वांचल से आने और भोजपुरी गायक और अभिनेता होने के कारण पूर्वांचल के लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं. सांसद रहने के दौरान क्षेत्र के लिए कई योजनाएं लेकर आए. इसके अलावा उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच साल के कामकाज का फायदा मिलने की संभावना है. वहीं आप प्रत्याशी दिलीप पांडेय इस सीट के लिए नया और युवा चेहरा हैं. काफी समय से क्षेत्र में सक्रिय रहने का लाभ मिल सकता है. पूर्वांचल के होने के कारण पूर्वांचलियों का साथ मिल सकता है.
मुस्लिम मतदाताओं में पार्टी की मजबूत पकड़ होने के कारण इस सीट पर उनका समर्थन मिलने का अनुमान है. वहीं शीला दीक्षित 15 साल मुख्यमंत्री रहीं. इस दौरान दिल्ली में मेट्रो आई. नई सड़कें और फ्लाईओवर बने. उनके कार्यों को लेकर लोग आज भी उन्हें याद करते हैं. वह दिल्ली कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता हैं. उन्हें जिताने के लिए पूरी पार्टी शिद्दत से जुटी हुई है. उनके चुनाव में खड़े होने से कार्यकर्ताओं में भी उत्साह बढ़ा है.
HIGHLIGHTS
- उत्तर पूर्वी दिल्ली से मौजूदा सांसद हैं मनोज तिवारी
- पूर्वांचल से होने के कारण 'आप' ने दिलीप पांडे को उतारा
- शीला दीक्षित के आने से कार्यकर्ताओं में बढ़ा है उत्साह
Source : News Nation Bureau