बिहार में जनता दल यूनाइटेड से गठबंधन कर बीजेपी राज्य सरकार में तो शामिल हो गई, लेकिन अब उसे लोकसभा चुनाव में इसके बदले 6 सांसदों की 'बलि' लेनी पड़ी है. ये 6 सीटें अब सहयोगी दलों के खाते में चली गई हैं. अब इस चुनाव पर इन सीटों पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को मायूसी हाथ लगेगी या उन्हें सहयोगी दलों का झंडा बुलंद करना होगा.
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बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और लोजपा एक साथ चुनाव लड़े थे, जबकि जनता दल युनाइटेड अलग होकर चुनाव मैदान में उतरी थी. बीजेपी को पिछले चुनाव में 22 सीटें जीती थीं. अब एक बार फिर जनता दल युनाइटेड के साथ आ जाने से बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इतनी ही सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड भी चुनाव लड़ रही है. जबकि लोजपा को 6 सीटें मिली हैं. बीजेपी को पिछली बार की जीती हुई वाल्मीकिनगर, गोपालगंज, सीवान, नवादा, गया और झंझारपुर सीट छोड़नी पड़ी है. अब ये सीटें सहयोगी दलों के खाते में हैं.
यहां तक कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज किशोर की सीट नवादा भी सहयोगी दलों के हिस्से में चली गई है. बताया जा रहा है कि इससे गिरिराज सिंह खासे नाराज हैं और यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के लिए समय मांगा है. गिरिराज सिंह को बेगुसराय सीट से उतारा गया है, जहां विपक्ष कन्हैया कुमार को संयुक्त प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रहा है. बताया जा रहा है कि गिरिराज सिंह बेगुसराय से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं.
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दूसरी ओर, पटना साहिब से सांसद शत्रुध्न सिन्हा का टिकट बीजेपी ने काटकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पर दांव लगाया है. शत्रुध्न सिन्हा के बागी तेवर और बड़बोलेपन से बीजेपी नेतृत्व काफी नाराज थी. काफी समय से पार्टी के लिए वो परेशानी का सबब बने हुए थे. पार्टी उन्हें न छोड़ पा रही थी और न ही अपना पा रही थी. बीजेपी से नाराज होकर माना जा रहा है कि शत्रुध्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर रविशंकर प्रसाद को चुनौती दे सकते हैं.
Source : Sunil Mishra