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लोकसभा चुनाव 2019 : UP में आधे से अधिक सांसदों का टिकट काट सकती है बीजेपी

पार्टी के एक वरिष्‍ठ नेता ने बताया कि इसके लिए पार्टी गुजरात मॉडल को अपना सकती है.

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Sunil Mishra
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लोकसभा चुनाव 2019 : UP में आधे से अधिक सांसदों का टिकट काट सकती है बीजेपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो)

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लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Elections 2019) के लिए बीजेपी उत्‍तर प्रदेश (UP) में रणनीति के तहत आधे से अधिक सांसदों का टिकट काट सकती है या उन्‍हें नई जगह से चुनाव लड़ाया जा सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2014) में बीजेपी ने 71 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में हुए उपचुनाव में तीन सीटें पार्टी हार गई थी. पार्टी के एक वरिष्‍ठ नेता ने बताया कि इसके लिए पार्टी गुजरात मॉडल को अपना सकती है.

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बता दें कि गुजरात में मुख्‍यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करने वाले विधायकों का टिकट तुरंत काट देते थे. संभवत: पार्टी वहीं फॉर्मूला उत्‍तर प्रदेश में लागू कर सकती है. पाकिस्‍तान में एयर स्‍ट्राइक के बाद बीजेपी के पक्ष में लोग का झुकाव बढ़ा है, वहीं 'जूता स्‍ट्राइक' से पार्टी की काफी किरकिरी हुई है.

जूता प्रकरण के बाद संत कबीरनगर से टिकट के दावेदारों की संख्‍या काफी बढ़ गई है. वहां के सांसद शरद त्रिपाठी ने इस प्रकरण के बाद उत्‍तर प्रदेश बीजेपी के अध्‍यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय से मुलाकात भी की थी. बताया जाता है कि महेंद्र नाथ पांडेय ने इस प्रकरण को लेकर शरद त्रिपाठी से सवाल जवाब भी किया.

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जानकार बताते हैं, सपा-बसपा-रालोद के जाति आधारित गठबंधन के बाद बीजेपी के टिकट उतनी वैल्‍यू नहीं रह गई है, जितनी 2014 के लोकसभा चुनाव में थी या जितनी उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान थी. हालांकि तमाम कयासों के बाद भी इसमें कोई संदेह नहीं कि अब भी बीजेपी के टिकट की वैल्‍यू कम नहीं है. कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होने को लेकर बातचीत कर रही है. इसका मतलब यह हुआ कि कई सीटों पर बीजेपी के उम्‍मीदवारों की जीत की संभावना कम होगी. फिर भी बीजेपी अपने गठबंधन के सहयोगियों को साथ रखने में सफल रही है, यही उसकी उपलब्‍धि है. 

बीजेपी के एक वरिष्‍ठ नेता कहते हैं, तमाम उठापटक के बावजूद बीजेपी के टिकट को लेकर उतना ही चार्म है, जितना शाहरुख खान और अक्षय कुमार की पिक्‍चर को लेकर होता है. उन्‍होंने बताया, मोदी नाम का जादू अब भी बरकरार है और टिकट के दावेदार इस बात को बखूबी जानते हैं. बहराइच का ही उदाहरण लें, जहां बहुत सारे दावेदार हैं. वहां की सांसद सावित्री फुले पार्टी छोड़ चुकी हैं. उन्‍होंने बताया कि दावेदारों की संख्‍या वहां बहुत अधिक है, जहां से सीटिंग एमपी हैं.

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पार्टी के पुराने नेताओं जैसे कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी (85) और देवरिया के सांसद कलराज मिश्र (77) के बारे में पार्टी की संसदीय बोर्ड फैसला लेगी कि उन्‍हें चुनाव लड़ाना है या नहीं. एक अन्‍य वरिष्‍ठ नेता ने बताया, इस समय हम केवल सक्रिय और गंभीर दावेदारी की अपेक्षा कर रहे हैं. इस समय पार्टी वरिष्‍ठ नेताओं यहां तक कि योगी आदित्‍यनाथ मंत्रिमंडल के सदस्‍यों को भी मोर्चे पर लगा रही है. उनमें से कुछ चुनाव लड़ने के भी इच्‍छुक हैं. इसके अलावा पार्टी नेतृत्‍व कुछ अन्‍य नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतरने को कह सकती है.

इस समय की बात करें तो योगी आदित्‍यनाथ के मंत्रिमंडल के कम से कम आधा दर्जन सदस्‍य लोकसभा चुनाव लड़ने को इच्‍छुक हैं. इनमें से कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो पहली बार राज्‍य सरकार में मंत्री बने हैं. पार्टी नेतृत्‍व गोरखपुर से फिलहाल किसी निषाद को चुनाव लड़ाने की सोच रही है.

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गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को पिछली बार करारी हार का सामना करना पड़ा था, जब वहां से सांसद योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद वह सीट खाली हुई थी. योगी आदित्‍यनाथ वहां से 1998 से सांसद थे. बीजेपी फिलहाल वहां से राजमति निषाद और उनके बेटे अमरेंद्र में से किसी एक को लड़ा सकती है. गोरखपुर सीट पर निषाद समुदाय का वोट निर्णायक रहा है, इसी को देखते हुए पार्टी यह फैसला कर सकती है. पिछले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने निषाद समुदाय का प्रत्‍याशी उतारकर ही बसपा की मदद से बीजेपी को मात दी थी.

Source : Sunil Mishra

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