साल 2016 के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक नोटबंदी की घोषणा की थी, तब सभी लोगों को परेशानी हुई थी, लेकिन नोटबंदी से बिकाऊ सांसदों तक को परेशानी हुई. रिपब्लिक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में इस बात का खुलासा हुआ है. दरअसल रिपब्लिक चैनल ने 'ऑपरेशन बिकाऊ सांसद' के प्रोग्राम में ऐसे सांसदों का खुलासा किया है, जो खुद को बेचने में गुरेज नहीं करते. ऑपरेशन बिकाऊ सांसद की लिस्ट में पहला नाम बिहार के सीतामढ़ी से सांसद और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता रामकुमार शर्मा का, दूसरा नाम जालंधर से कांग्रेस सांसद संतोख सिंह और तीसरा नाम बीजेपी के घोसी से सांसद हरिनारायण राजभर हैं.
रामकुमार शर्मा
बिहार के सीतामढ़ी से सांसद
रामकुमार शर्मा गुप्त कैमरे के सामने 10 करोड़ रुपये लेने की बात स्वीकार करते हैं. वे कहते हैं आंध्र के सांसदों को चुनाव जीतने के लिए 50 करोड़ रुपये चाहिए होते हैं, जबकि उत्तर भारत में ऐसी स्थिति नहीं है. यहां 10 करोड़ में भी हमारा काम हो जाता है. स्टिंग में उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि एमसीआई (MCI) के एक मामले को सॉल्व करने के लिए उन्हें काफी रुपये मिले थे, गाड़ी मिलती थी, ड्राइवर आता था गाड़ी लेकर. शर्मा कहते हैं, पूरे देश में ऐसे काम कराने के लिए 25 से 30 अफसरों से हमारे संपर्क हैं. ये अफसर कोई भी काम करा देते हैं. वो कहते हैं, हम चुनकर आए थे और हमारा पहला एजेंडा था- पैसा कमाना.
संतोख सिंह
जालंधर से कांग्रेस सांसद
ये सांसद महोदय तो दलाली को इंवेस्टमेंट का नाम देते हैं. उन्होंने तो कैमरे के सामने यह भी कहा कि पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. उनका कहना है, तुम हमें पैसे दो और हम तुम्हें फेवर देंगे. ये महोदय काम कराने के बदले में रैली की व्यवस्था, पोस्टर छपवाने और कार्यकर्ताओं को मैनेज करने की बात कह रहे थे.
हरिनारायण राजभर
घोसी सीट से बीजेपी सांसद
मोदी के राज में पैसा कमाना मुश्किल हो गया है. लोग खा रहे हैं. मोदी के कदम बेअसर हैं. सांसद ने कहा कि पिछले चुनाव में 85 लाख रुपया लगा था. 5-5 करोड़ रुपये लगाने वाले मोदी लहर में चुनाव हार गए. राजभर का कहना था कि काम ऐसे किया जाए कि कहीं फंसने की कोई गुंजाइश न हो. कैश न दीजिए लेकिन चुनाव में काम करवा दीजिए. उन्होंने प्रचार के लिए मदद की बात कही.
Source : News Nation Bureau