कहने को भले ही कांग्रेस (congress)पार्टी देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल है, लेकिन बैंक बैलेंस (bankbalance)के मामले में अब वह कहीं पीछे नजर आती है. और तो और, पिछले लोकसभा चुनाव में 'कांग्रेस मुक्त' का नारा देकर बहुमत में आई भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी इस मामले में पीछे है. बैंक बैलेंस के मामले में सबसे आगे खड़ी है बहुजन समाज पार्टी यानी बीएसपी (BSP). चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के अनुसार बीएसपी के आठ बैंक खातों में 669 करोड़ रुपए जमा हैं.
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समाजवादी पार्टी (SP) 471 करोड़ रुपए के बैंक खातों के साथ दूसरे नंबर पर आती है. हालांकि यह तब है जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनाव (assembly Elections) के बाद सपा के बैंक खातों में मामूली कमी आई थी. बैंक बैलेंस के मामले में कांग्रेस 196 करोड़ रुपए के साथ तीसरे नंबर पर आती है. हालांकि कांग्रेस ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत के बाद बैंक खातों में आई रकम का उल्लेख नहीं किया है.
पांचवें स्थान पर आने वाली बीजेपी के पास बैंक खातों में 82 करोड़ रुपए हैं. बीजेपी सपा-बसपा समेत तेलुगूदेशम सरीखी क्षेत्रीय पार्टी से भी बैंक जमा के मामले में पीछे है. तेलुगूदेशम के पास 107 करोड़ रुपए बैंक में जमा है. यहां यह भूलना नहीं चाहिए कि चुनावी बांड्स समेत अन्य माध्यमों से चंदा जुटाने में बीजेपी सबसे आगे है. कह सकते हैं कि इसके बावजूद बीजेपी के खातों में इतनी कम रकम का सिर्फ एक ही कारण हो सकता है और वह है खर्च.
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गौरतलब है कि बीजेपी ने किसी अन्य राजनीतिक दल की तुलना में सबसे ज्यादा खर्च किया है. जारी किए गए दस्तावेजों के अनुसार बीजेपी ने 2017-18 में 1,027 करोड़ रुपए जुटाए थे. इसमें से पार्टी ने विभिन्न मदों में 758 करोड़ रुपए खर्च भी कर दिए. किसी भी दल की ओर से किया गया यह सबसे ज्यादा खर्च है. यही नहीं, समाजवादी पार्टी की आय में भी पिछले साल चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद 11 करोड़ रुपए की कमी आई थी. यह अलग बात है कि इसी अवधि में बीजेपी का जमा धन 665 करोड़ रुपए से बढ़कर 670 करोड़ रुपए हो गया था.
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एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न्स (income tax) का अध्ययन कर बताया कि बीजेपी को चंदे से ही 2016-17 में 1,034 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, तो 2017-18 में 1,027 करोड़ रुपए मिले थे. हालांकि इसी अवधि में बीएसपी का चंदा बुरी तरह से गिरावट का शिकार रहा वह 2016-17 के 174 करोड़ से गिरकर 2017-18 में महज 52 करोड़ रुपए पर आ गया.
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कांग्रेस को 2016-17 में 255 करोड़ रुपए चंदे से मिले थे. यह अलग बात है कि इसके बाद के वित्तीय वर्ष यानी 2017-18 में कांग्रेस ने चंदे से प्राप्त आय का लेखा-जोखा चुनाव आयोग के सुपुर्द नहीं किया है. सीपीएम को पिछले कुछ सालों में औसतन 100 करोड़ रुपए हर साल चंदे से मिले हैं. यहां एक रोचक बात यह है कि इन सभी राजनीतिक पार्टियों को इस मद में 87 फीसदी रकम स्वैच्छिक चंदे से प्राप्त हुई है. सिर्फ बीजेपी ही एकमात्र पार्टी है जिसे 2017-18 में चुनावी बांडों (political bonds) के रूप में 210 करोड़ रुपए प्राप्त हुए.
Source : News Nation Bureau