Lok Sabha Election 2024 : आजमगढ़ सीट हमेशा से हॉट सीट रही है. इस बार आजगढ़ में त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है. यहां सपा, भाजपा और बसपा के बीच टक्कर है. सपा से उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव, भाजपा से दिनेश लाल यादव निरहुआ और बसपा से प्रत्याशी के बीच तगड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. अगर बीते चुनावों की बात की जाए तो इस सीट पर तीन बार सपा और तीन बार बसपा और दो बार भाजपा ने जीत हासिल की. यहां से यूपी से पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने 2014 और 2019 में जीत चुके हैं. 2019 में भाजपा के निरहुआ को अखिलेश ने करीब 2 लाख 60 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया. अखिलेश यादव ने बाद में विधानसभा चुनाव लड़ा था और सांसदी से इस्तीफा दे दिया. आजमगढ़ में 2022 को उपचुनाव हुए, इसमें भाजपा के निरहुआ ने सपा के धमेंद्र यादव को मात दे दी.
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यहां पर यादवों का प्रभुत्व रहा है
लोकसभा चुनावों में अगर आजमगढ़ का इतिहास देखा जाए तो यहां पर यादवों का प्रभुत्व रहा है. इस सीट पर अब तक 14 बार यादव सांसदों को चुना गया है. भाजपा को भी सफलता तब मिली जब 2009 में उसने इस सीट पर रमाकांत यादव को उम्मीदवार तय किया था. इसके बाद 2022 के उपचुनाव में पार्टी ने दिनेश लाल यादव निरहुआ को प्रत्याशी बनाया. उन्हें जीत हासिल हुई. यहां पर विकास से जुड़े मामले पीछे हट जाते हैं. जातिगत आधार पर मतों का यहां पर ध्रुवीकरण होता है.
ज्यादा पीछे जाए तो 1989 में बसपा का हाथी इस सीट पर विजयी हुआ. 1996 में रमाकांत सपा से खड़े हुए. वहीं 1998 में बसपा के अकबर अहमद डंपी को विजय मिली. 1999 में रमाकांत ने एक बार फिर सपा से जीत दर्ज की है. वहीं 2004 में रमाकांत यादव बसपा के टिकट पर खड़े हुए और जीत दर्ज की.
क्या है राजनीतिक बिसात
भाजपा के निरहुआ ने 2022 में आजमगढ़ सीट पर धर्मेंद्र यादव को 8 हजार वोटों से मात दी थी. उस समय बसपा ने गुड्डू जमाली को यहां से प्रत्याशी बनाया था. यह मुकाबला टक्कर का था. यहां से जमाली ने 2 लाख से अधिक वोट हासिल किए. खास बात ये है कि गुड्डू जमाली अब सपा में हैं और MLC बने. इस बार धमेंद्र यादव के सामने एक बार फिर निरहुआ हैं.
ये है जातीय समीकरण
आजमगढ़ सीट पर लगभग 18 लाख वोटर्स हैं. इनमें से यादव और मुस्लिम मतदाता सबसे अधिक हैं. मुस्लिम यादव वोटर्स का आंकड़ा करीब 40 फीसदी से अधिक है. इस बार कांग्रेस और सपा साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां पर 50 फीसदी से अधिक अन्य जातियों के वोटर्स हैं. वहीं दलित वोटर्स की संख्या करीब 3 लाख के आसपास है.
Source : News Nation Bureau