यूपी में कई मुख्यमंत्रियों ने अपने हिसाब से शहरों का नाम रखते आए हैं. क्या शहरों के नाम बदलने की राजनीति से लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी को फायदा मिलेगा?. बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने ताबड़तोड़ कई पुराने शहरों के नाम बदल दिए हैं. उन्होंने तीन शहरों और चार एयरपोर्टों के नाम बदलकर दूसरा नाम रख दिए हैं. अब इसका बीजेपी को कितना फायदा मिलेगा ये तो 23 मई को ही पता चलेगा. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी के 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर बाजी मारी थी.
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गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने 6 अक्टूबर को इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया. कुछ समय पहले जब वह इलाहाबाद आए थे, तभी उन्होंने इस शहर के नाम बदलने के संकेत दिए थे. तीन नदियों (त्रिवेणी) के संगम के रूप में इलाहाबाद मशहूर रहा है. यहां पर गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का संगम है. प्राचीन काल में इसे प्रयाग के नाम से जाता था, जिसे अकबर ने बदलकर इलाहाबाद कर दिया.
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यूपी सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर करने का निर्णय लिया, जिसे गृह मंत्रालय से भी हरी झंडी मिल गई. दीपावली से एक दिन पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या करने का ऐलान कर दिया. योगी ने कहा, उनकी सरकार में अयोध्या के साथ अन्याय नहीं होगा. अयोध्या हमारी आन-बान और शान है. विपक्ष ने सरकार के फैसले पर तीखी आपत्ति जताई. सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने कहा कि ऐतिहासिक पहचान वाली जगह का नाम बदलने के पीछे मंशा राजनीतिक है. कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने का कोई औचित्य नहीं है.
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मोहल्लों के उर्दू नाम बदलना योगी आदित्यनाथ की पुरानी आदत है. इससे पहले भी वह गोरखपुर में पांच मोहल्लों का हिंदी नामकरण कर चुके हैं. उन्होंने उर्दू बाजार को हिंदी बाजार, हुमायुंपुर को हनुमान नगर, मीना बाजार को माया बाजार और अलीनगर को आर्यनगर किया है. हालांकि, नगर निगम ने अभी इन नए नामों पर मुहर नहीं लगाई है, लेकिन फिर भी इन स्थानों को नए नामों से पुकारा जाने लगा है. कई दुकानदारों ने अपने बोर्ड में उर्दू बाजार की जगह हिंदी बाजार और मीना बाजार को माया बाजार लिखना शुरू कर दिया है.
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यह बात यूपी विधानसभा चुनाव 2017 (UP Vidhan Sabha Election 2017) से पहले की है, जब बीजेपी के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ अमरोहा के हसनपुर में जनसभा के दौरान पहुंचे थे उस दौरान उन्होंने हसनपुर के नाम पर ऐतराज जताते हुए कहा था, उत्तर प्रदेश में हसनपुर क्यों है? सीएम बनने से पहले एक टीवी चैनल के प्रोग्राम में भी योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि गोरखपुर में मोहल्लों के नाम बदलना उनका सही फैसला है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि अतीत के गौरव के साथ वर्तमान को जुड़ना चाहिए. गोरखपुर में आर्यनगर हो सकता है, लेकिन अलीनगर नहीं. इस दौरान उन्होंने आगरा के ताजमहल का नाम बदलने की भी संकेत दिए थे.
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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बरेली, कानपुर, गोरखपुर और आगरा एयरपोर्ट के नाम बदल दिए. नए फैसले के तहत अब बरेली एयरपोर्ट को नाथ एयरपोर्ट, गोरखपुर सिविल एयरपोर्ट को योगी गोरखनाथ एयरपोर्ट, आगरा एयरपोर्ट को दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट और कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट को पत्रकार व स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम पर जाना जाएगा. इस बीच मुजफ्फरनगर जिले का भी नाम बदलने की मांग तेज हो गई है. बीजेपी विधायक संगीत सोम ने मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर रखने की मांग की है. संगीत सोम का कहना है कि मुगलों ने यहां की संस्कृति को मिटाने का काम किया है, खासकर हिंदुत्व को मिटाने का काम किया है. हमलोग उसी संस्कृति को बचाने में जुटे हैं.
पहले भी होती रही है नामों पर राजनीति
ऐसा पहली बार नहीं है, जब उत्तर प्रदेश की सरकारों ने अपने पसंदीदा महापुरुषों के नाम पर किसी स्थान या शहरों के नाम बदले हों. भाजपा से पहले भी समाजवादी पार्टी और बसपा की सरकारें एक-दूसरे के रखे हुए नामों को बदलती रही हैं. मायावती ने अमेठी का नाम छत्रपति शाहूजी नगर कर दिया था. इस फैसले को मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही रद्द कर दिया. सत्ता में फिर मायावती आईं तो उन्होंने एक फिर अमेठी का छत्रपति शाहू जी महाराज कर दिया. 2012 में जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने फिर छत्रपति शाहूजी नगर का नाम बदलकर अमेठी रख दिया. इसके अलावा उन्होंने कई और जिलों के नाम बदल दिए. जैसे बुद्धनगर का नाम शामली, भीम नगर का नाम बहजोई, पंचशील नगर का नाम हापुड़, ज्योतिबा फुले नगर का नाम अमरोहा, महामाया नगर का नाम हाथरस, कांशीराम नगर का नाम कासगंज, रमाबाई नगर का नाम कानपुर देहात और छत्रपति शाहूजी महाराज नगर का नाम अमेठी रख दिया.
ऐसे बदलता है शहर का नाम
- किसी शहर के स्थानीय लोग या जनप्रतिनिधि नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे
- राज्य मंत्रिमंडल प्रस्ताव पर विचार करती है और मंजूरी देने के बाद राज्यपाल की सहमति को भेजती है
- राज्यपाल प्रस्ताव पर अनुंशसा देने के साथ अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजता है
- गृहमंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकार नाम बदलने की अधिसूचना जारी करती है
Source : News Nation Bureau