Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में मुसलमानों को लेकर सियासत गरमाई हुई है. कोई मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात कर रहा है, तो कोई उन्हें घुसपैठिया तक बता रहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उनसे दूरी बरतती नजर आ रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी खुद को उनका सबसे बड़ी रहनुमा बताने में लगी हुई हैं. मगर हकीकत ये है कि कोई भी पार्टी उनको लेकर बहुत फिक्रमंद नहीं है. यह बात संसद से लेकर विधानसभाओं तक मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व बहुत कम होने से स्पष्ट होती है. आइए जानते हैं कि मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से कतराती क्यों हैं पार्टियां और किस पार्टी ने कितने मुस्लिमों को टिकट दिया है.
BJP ने दिया सिर्फ एक मुस्लिम को टिकट
NDA अलायंस ने कुल 430 प्रत्याशी खड़े किए हैं, जिनमें 4 ही मुस्लिम हैं. बीजेपी ने इस बार सिर्फ एक मुस्लिम कैंडिकेट को टिकट दिया है. 2024 में बीजेपी ने केरल की मलप्पुरम सीट से एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी अब्दुल सलाम को उतारा है. इसके पीछे की वजह यह है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 13 मुस्लिमों उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन उनमें से एक को भी जीत हासिल नहीं हुई. वहीं, 2014 में मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आई थी. उस समय देश की संसद में 30 मुसलमान चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इनमें से बस 1 सांसद ही बीजेपी का था.
दूसरी ओर कांग्रेस ने इस बार सिर्फ16 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है. सपा ने बस 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा किया है. इंडिया गठबंधन ने कुल 34 मुस्लिम कैंडिडेट्स को चुनाव में उतारा है. इसके अलावा आरजेडी ने बस 2 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. महाराष्ट्र और गुजरात में कांग्रेस ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया.
मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से कतराती क्यों हैं पार्टियां?
चुनाव में कोई भी पार्टी उसी प्रत्याशी को टिकट देती है जिसके जीतने की बहुत अधिक संभावनाएं होती हैं. इसके लिए धार्मिक, जातिगत और सामाजिक समीकरण के अलावा आबादी, लोकप्रियता और दूसरों के मुकाबले काम का प्रदर्शन जैसे कई फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है. किसी भी चुनाव में मुस्लिम कैंडिडेट्स को कम उतारे जाने की वजह पार्टियों की तुष्टिकरण की नीति है.
विधायिकाओं में अच्छे हालात नहीं
देश के 28 राज्यों की विधायिकाओं में 4000 से ज्यादा विधानसभा सदस्य चुनकर आते हैं. मगर, यहां भी मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व नाममात्र का ही है. वर्तमान में इन विधायिकाओं में महज 6 फीसदी ही मुसलमान हैं. यहां तक कि सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले राज्य यूपी में करीब 16 फीसदी मुसलमान हैं, मगर वहां भी विधायिका में बस 7 फीसदी ही मुस्लिम हैं.
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Source : News Nation Bureau