2018 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 साल बाद वापसी करने वाली कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से पिछड़ रही है. 2019 के चुनाव में दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत तमाम कांग्रेसी दिग्गजों के दांव पेंच फेल हो गए हैं. अब तक के रुझानों में कांग्रेस प्रदेश की मात्र एक सीट पर ही बढ़त बनाए हुए है और बाकी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी 2014 से काफी पीछे रह गई है. मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से 28 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी महज छिंदवाड़ा सीट पर बढ़त बनाए हुए है. प्रदेश में सीधा मुकाबला बीजेपी ओर कांग्रेस के बीच माना जा रहा है.
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मध्य प्रदेश की सबसे हॉट सीट भोपाल संसदीय क्षेत्र से भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को शुरुआती रुझान में बढ़त मिली है. राज्य की सबसे हॉट सीट भोपाल में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और भाजपा की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच कड़ी टक्कर है. इसी तरह गुना में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया से बीजेपी के केपी यादव आगे चल रहे हैं. इसी तरह रतलाम में कांग्रेस के उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया, खंडवा में अरुण यादव, भिंड से देवाशीष जरारिया आदि पीछे चल रहे हैं.
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एक अच्छी खबर सिर्फ छिंदवाड़ा से कांग्रेस के लिए आ रही है. जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार नकुलनाथ लगातार आगे चल रहे हैं. अगर एक नजर पिछले लोकसभा चुनावों की ओर दौड़ाएं तो 2014 के चुनाव में मध्य प्रदेश में बीजेपी ने बड़ी बाजी मारी थी. यहां 29 लोकसभा सीटों में से 27 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. जबकि कांग्रेस केवल 2 ही सीटें जीत पाई थी. हालांकि, मोदी लहर होने के बावजूद मध्य प्रदेश की गुना और छिंदवाडा सीट बीजेपी कांग्रेस से नहीं छीन पाई थी. लेकिन इस बार शुरुआती रुझान में कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर सिमटती दिख रही है.
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प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से इस चुनाव में बीजेपी ने 109 सीटों जीत हासिल की, वहीं कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बसपा को 2 और सपा को एक सीट हाथ लगी थी. हालांकि प्रदेश में कांग्रेस बहुमत के जादूई आंकड़े दो सीट दूर रह गई थी. ऐसे में बसपा और सपा ने अपना सहयोग दिया तो कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार किया और सरकार बनाने में सफल रही. जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाई तो लग रहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को फायदा मिलेगा. लेकिन शुरुआती रुझानों से ऐसा साफ होता दिख रहा है कि कांग्रेस सरकार जनता को अपने साथ जोड़े रखने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है.
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