चुनाव आयोग के अधिकार और शक्तियों को लेकर देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसे लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने न्यूज नेशन को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग की शक्तियां निहित हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास न्यायिक अधिकार और व्यवस्था कम है. यानी आरोप साबित करने के लिए वह एक कोर्ट की तरह विभिन्न पक्षों को सुनकर, उनके वकीलों की जिरह करा कर फैसला देना प्राय मुश्किल होता है, इसीलिए यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में सुना जा रहा है. मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्वाचन आयोग को चुनाव के समय और अधिक अधिकार मिलेंगे.
चुनाव आयोग को मिले उम्मीदवार और राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने का अधिकार
जब तक निर्वाचन आयोग को जाति और धर्म के नाम पर बयान देने वाले नेताओं की उम्मीदवारी रद्द करने और राजनीतिक दलों से उनका चुनाव चिह्न जब्त करने जैसे अधिकार नहीं मिल जाता, तब तक मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का कड़ाई से लागू करना मुश्किल रहेगा.
मतदान के अधिकार को कर्तव्य बनाया जाए
2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में 2019 लोकसभा चुनाव के पहले चरण में वोटिंग परसेंटेज कम रहा है. मुझे लगता है कि सर्व सहमति से संविधान संशोधन करके मतदान के अधिकार को नागरिक कर्तव्य में शामिल करना चाहिए. जिसके द्वारा मतदान नहीं करने की सूरत में पासपोर्ट, आधार कार्ड, राशन कार्ड और गरीबों को मिलने वाली अन्य सहायता पर रोक लगानी चाहिए. वहीं, मतदान करने की सूरत में इनकम टैक्स रिबेट जैसे इंसेंटिव भी देनी चाहिए.
लगातार गिर रहा है राजनीति का स्तर
हर चुनाव के बाद राजनीति का स्तर गिरता चला जा रहा है. जिस तरह से अब व्यक्तिगत बयान हो रहे हैं या जाति और धर्म के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है, पहले ऐसा नहीं देखने को मिलता था, यह सब दुखदाई है. गौरतलब है कि सुभाष कश्यप तीन बार लोकसभा के महासचिव भी रह चुके हैं.
Source : News Nation Bureau