कहते हैं देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यानी पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चाणक्य यह अच्छी तरह जानते थे कि सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन से जितना कम नुकसान होगा, दिल्ली का सफर उतना ही आसान होगा. यही वजह थी पीएम मोदी और अमित शाह ने सबसे ज्यादा सभाएं उत्तर प्रदेश में ही कीं.
यही नहीं उपचुनाव में कैराना, फूलपुर और अपनी गोरखपुर सीट गंवाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ से सवा सौ से ज्यादा रैलियां कर डालीं. योगी आदित्यनाथ ने यूपी से बाहर भी 26 जनसभाओं को संबोधित किया. उप्र के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की साख भी इस चुनाव में दांव पर थी. केशव प्रसाद मौर्या भी अपनी फूलपुर सीट उप चुनाव में गवां चुके थे, लिहाजा उन्होंने भी करीब 85 रैलियों और सभाओं को संबोधित किया.
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अगर Exit Polls की बात करें तो मोदी-शाह, योगी-मौर्य की मेहनत का नतीजा है कि यूपी में बीजेपी को 50 से 60 सीटें मिलती नजर आ रही हैं. इनके अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र पांडेय, दोनों डिप्टी दिनेश शर्मा ने भी जमकर पसीना बहाया. इनके मुकाबले बसपा-सपा-रालोद गठबंधन के लिए मायावती और अखिलेश ने 21 साझा रैलियों से गठबंधन के लिए माहौल बनाया. अजीत सिंह और जयंत चौधरी भी गठबंधन के लिए स्टार प्रचारक रहे.
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यही वजह है कि उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में से इस बार बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को औसतन 52 सीटें मिलतीं दिख रहीं हैं. 7 न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल को देखकर तो यही लगता है. रविवार को आए एग्जिट पोल से गठबंधन को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. उसे औसतन 28 से 32 सीट मिलती दिख रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और सहयोगी अपना दल ने मिलकर 73 सीटें जीती थीं. वहीं सपा को 5 और बीएसपी को कोई सीट नहीं मिली थी.
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News Nation Exit Poll में बीजेपी+ और महागठबंधन को 38 से 40 सीटें मिल रही हैं. एग्जिट पोल में कांग्रेस 'वोट कटवा' की भूमिका में ही नजर आ रही है. इस बार भी कांग्रेस पार्टी सिर्फ 2 से 3 सीटों पर ही सिमट रही है. बीजेपी+ के वोट प्रतिशत में भी गिरावट आई है. इस बार बीजेपी+ की लोकप्रियता 43.6 फीसदी से घटकर 41 पर पहुंच गई है. जबकि महागठबंधन को 42 फीसदी लोगों ने चुना है. अगर कांग्रेस की बात करें तो इस पार्टी के वोट शेयर में 2.5 फीसदी का इजाफा हुआ है. पिछली बार जहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत 7.5 फीसदी था, वो इस बार बढ़कर 11 फीसदी हो गया है.
यूपी में रैलियां
- स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 सभाएं और 1 रोड शो किया.
- बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 28 जनसभाएं और 2 रोड शो कर बीजेपी प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा.
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे ज्यादा 126 जनसभाएं की.
- बसपा-सपा-रालोद गठबंधन के लिए मायावती और अखिलेश ने 21 साझा रैलियों से गठबंधन के लिए माहौल बनाया.
- अखिलेश यादव ने 50 से ज्यादा जनसभा को संबोधित किया.
- मायावती ने कुल 27 जनसभा को संबोधित किया.
- प्रियंका गांधी ने 55 लोकसभा क्षेत्रों में 40 रैलियां और करीब इतने ही रोड शो किए.
- राहुल गांधी ने 20 रैलियां और रोड शो किए.
- सोनिया गांधी ने सिर्फ रायबरेली ही में एक जनसभा की.