देश में लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. अब बस दो चरण शेष रह गए है. छठवें दौर में आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को मिलाकर 58 सीटों पर मतदान होना है. वहीं सातवें और अंतिम दौर की वोटिंग एक जून को होनी है. 543 सीटों पर नतीजे चार जून को सामने आ जाएंगे. परिणाम आने से एक दिन पहले ही ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल सामने आ जाएंगे. इससे क्लियर हो जाएगा कि आखिर किस पार्टी की सरकार बन सकती है. किस पार्टी को कितनी सीटें मिलने वाली हैं, इसका अनुमान पोल से सामने आएगा.
आखिर एग्जिट पोल क्या होता है?
आपको बता दें कि एग्जिट पोल एक तरह से चुनावी सर्वे की तरह है. जब वोटर वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर आता है तो वहां पर अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लौग मौजूद होते हैं. ये वोटर से वोटिंग को लेकर सवाल करते हैं. उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट किया है? ये हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ पर जाते हैं और मतदाता से सवाल पूछते हैं. मतदान खत्म होने के बाद ऐसे सवालों से आकड़े सामने आ जाते हैं. इन आकड़ों को सामने रखकर इसके आंसर सामने आ जाते हैं. इससे पता चलता है कि पब्लिक का मूड किस ओर है? इस तरह से हर सीट का अनुमान सामने आ जाता है.
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कितने लोगों से सवाल पूछा जाता है?
एग्जिट पोल को कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर लोगों से बात करते हैं. इसमें यह तय नहीं होता है कि क्या सवाल होंगे. इसमें करीब एक लाख मतदाताओं तक से बातचीत होती है. इसमें हर जगह से हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है.
एग्जिट पोल का इतिहास
एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने की थी. वॉन डैम ने पहली बार 15 फरवरी 1967 को इसका उपयोग किया. उस समय नीदरलैंड में किए एग्जिट पोल बिल्कुल सटीक गया. देश में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (आईआईपीयू) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा के द्वारा की गई.
ओपिनियन पोल क्या होता है
एजेंसियां ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराती हैं. इसमें सभी को शामिल किया जाता है. भले ही वह वोटर हो या नहीं. यह पोल मुद्दों को लेकर होते हैं. हर क्षेत्र के अपने-अपने मुद्दे होते हैं. इन्हें छेड़कर जनता की नब्ज टटोली जाती है. इस तरह से ये जानने की कोशिश होती है कि सरकार के प्रति जनता की नाराजगी है या फिर उसके काम से संतुष्ट है.
ओपिनियन पोल का इतिहास
विश्व में ओपिनियन पोल की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका में शुरू हुई थी. इसे जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने अमेरिकी सरकार के कामकाज पर राय जानने के लिए शुरू किया था. इसके बाद ब्रिटेन ने 1937 और फ्रांस ने 1938 में बड़े पैमाने पर इसे कराया जाना लगा. यहां से इसका चलन पूरी दुनिया में बढ़ गया. बाद में जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम तथा आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए.
Source : News Nation Bureau