First Phase Bihar: बिहार की 4 सीटों पर जानें क्‍या है समीकरण, किससे किसको है चुनौती

पहले चरण में बिहार के चार लोकसभा क्षेत्रों गया, नवादा, औरंगाबाद और जमुई में मतदान होना है. इस चरण में कुल 44 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है.

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Drigraj Madheshia
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First Phase Bihar: बिहार की 4 सीटों पर जानें क्‍या है समीकरण, किससे किसको है चुनौती

प्रतिकात्‍मक चित्र

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इस बार लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में होगा और मतों की गिनती 23 मई को होगी. चुनाव आयोग के मुताबिक 91 सीटों के लिए (20 राज्यों में) मतदान 11 अप्रैल को, 97 सीटों के लिए (13 राज्य) मतदान 18 अप्रैल को, 115 (14 राज्य) के लिए 23 अप्रैल को, 51 (सात राज्य) के लिए छह मई को, 59 (सात राज्य) के लिए मतदान 12 मई को और 59 सीटों (आठ राज्य) के लिए मतदान 19 मई को होगा. वहीं पहले चरण में बिहार के चार लोकसभा क्षेत्रों गया, नवादा, औरंगाबाद और जमुई में मतदान होना है. इस चरण में कुल 44 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है.

औरंगाबाद में वोटों को समेटने की चुनौती

औरंगाबाद में नौ प्रत्याशी सियासी पिच पर गुरुवार को बैटिंग करते नजर आएंगे. सबकी नजरें इस बार बीजेपी के सुशील कुमार सिंह, महागठबंधन के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के उपेंद्र प्रसाद पर होगी. सुशील कुमार सिंह को जदयू का समर्थन प्राप्त है. महागठबंधन के उपेंद्र प्रसाद को कांग्रेस और राजद का समर्थन है. महागठबंधन के सामने राजग (NDA) के आधार वोट और मुद्दों से जूझने की चुनौती है तो राजग (NDA) के समक्ष महागठबंधन के समीकरण को तोड़ने की. 2014 में BJP के सुशील कुमार सिंह ने कांग्रेस के निखिल कुमार को पराजित किया था. जदयू के बागी प्रसाद वर्मा तीसरे नंबर पर रहे थे. इस बार

नवादा में टूटते कुनबाई समीकरण

नवादा में हावी राष्‍ट्रीय मुद्दों के बीच एक ओर जहां राजग (NDA) है तो दूसरी ओर महागठबंधन. 2014 के चुनाव में BJP से गिरिराज सिंह ने चुनाव जीता था. तब जदयू तीसरे नंबर पर रहा था. राजद से राजबल्लभ प्रसाद निकटतम प्रतिद्वंद्वी थे. इस बार चेहरे बदल गए हैं. राजद को महागठबंधन के घटक दलों को कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और रालोसपा का समर्थन है.

राजग (NDA) में लोजपा प्रत्याशी चंदन सिंह को जदयू और बीजेपी के परंपरागत वोटों का सहारा है. राजद से जेल में बंद राजबल्लभ प्रसाद की पत्नी विभा देवी मैदान में हैं. नाबालिग से दुष्कर्म में सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई है. यहां पर कई जगहों पर कुनबाई समीकरण टूटते भी दिख रहे. यह किसी के लिए भी भारी पड़ सकता है.

गया में कांटे की टक्‍कर

गया की सियासी पिच पर 13 खिलाड़ी अपना दमखम दिखाने को तैयार हैं. राजग (NDA) की ओर से जदयू प्रत्याशी विजय कुमार, जबकि महागठबंधन की ओर से हिदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के जीतनराम मांझी. 2014 के चुनाव में BJP के हरि मांझी विजयी रहे थे. जदयू से उम्मीदवार रहे जीतनराम मांझी तीसरे स्थान पर रहे थे.

महागठबंधन का प्रत्याशी होने के कारण राजद, कांग्रेस और रालोसपा का समर्थन जीतन राम मांझी के साथ है. दूसरी ओर राजग (NDA) में होने के कारण जदयू प्रत्याशी के साथ इस बार BJP खड़ी है. जीतन राम मांझी तीसरी बार मैदान में हैं और विजय मांझी पहली बार. कैडर वोटों के साथ कुनबाई समीकरण को भी साध पाने की कड़ी चुनौती है, क्योंकि यहां स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हैं.

जमुई में कुनबाई रस्साकशी

समाजवादी पृष्ठभूमि वाली जमुई लोकसभा सीट पर अहम की लड़ाई है. कुनबाई पकड़ की रस्साकशी के बीच दाएं-बाएं से दांव-पेच भिड़ाने वाले चेहरे भी सक्रिय हैं. मैदान में नौ प्रत्याशी हैं, लेकिन निर्णायक लड़ाई राजग (NDA) में लोजपा प्रत्याशी चिराग पासवान और महागठबंधन में रालोसपा प्रत्याशी भूदेव चौधरी के बीच है.

निवर्तमान सांसद चिराग और 2009 में सांसद रहे भूदेव के कार्यों को लेकर मतदाताओं का अपना गुणा-गणित है. एक तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमुई में हुई सभा का असर है तो दूसरी ओर आरक्षण जैसे मुद्दे पर कुछ खास वर्गों को अपने तर्क से समझाने की कोशिश जारी है.

Source : DRIGRAJ MADHESHIA

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