बुधवार का दिन भारत के लिए स्वर्णिम दिन रहा. भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में बड़ी उपलब्धि हासिल की और हमने अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराया. इसके साथ ही ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. अंतरिक्ष में होने वाला ये मिशन पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण जैसा ही था. पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में ये सूचना जैसी दी मोदी सरकार के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई. यह उपलब्धि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार के खाते में जुड़ सकती थी लेकिन ऐसे नहीं हुआ. इसका जिम्मेदार स्वयं मनामोहन सरकार थी. हालांकि कांग्रेस इसे उपलब्धि बता रही है.
Former DRDO Chief Dr VK Saraswat on #MissionShakti: We made presentations to National Security Adviser&National Security Council, when such discussions were held, they were heard by all concerned, unfortunately, we didn't get positive response (from UPA), so we didn't go ahead. pic.twitter.com/qJDMtc3Kf2
— ANI (@ANI) March 27, 2019
पूर्व डीअरडीओ (DRDO) प्रमुख डॉ वीके सारस्वत ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि हमने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में प्रस्तुतियां दीं, जब इस तरह की चर्चाएं हुईं, तो उन्हें सभी संबंधितों ने सुना, लेकिन दुर्भाग्य से, हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली (UPA), इसलिए हमने नहीं किया।
इसके अलावा अरुण जेटली ने भी कांग्रेस के दावे पर कहा कि पिछली सरकार ने नहीं दिखाई थी इच्छाशक्तिमिशन शक्ति की कामयाबी पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के लिहाज से ये मिशन काफी अहम है. हमारे वैज्ञानिकों की ओर से पहले ही कहा गया था कि हम इसको करने के लिए सक्षम है, लेकिन भारत सरकार ने अनुमति नहीं दी थी.
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अरुण जेटली ने कहा कि हमारी सरकार ने इसके लिए अनुमति दी. उन्होंने कहा कि आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, खासतौर से वैज्ञानिकों के लिए, जिन्होंने आज वो क्षमता प्राप्त की जो अभी तक विश्व में केवल 3 देशों के पास थी. उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी नाकामियों के लिए अपनी पीठ थपथपाते हैं, उनको याद रहना चाहिए कि उनसे जुड़ी कहानियों के पद चिह्न बहुत लंबे हैं और कहीं न कहीं ये पद चिह्न मिल ही जाते हैं.
‘ऑपरेशन शक्ति’ के बाद 'मिशन शक्ति'
पोखरण के समय प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी थी, जिससे दुनिया चौंक गई थी. तब दुनिया के कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे. हालांकि, इसके बावजूद भारत सरकार पीछे नहीं हटी थी. खास बात ये है कि उस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ ही था. उस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे.
दोनों ऑपरेशन में क्या है समानता?
- इस ऑपरेशन का नाम ‘मिशन शक्ति’ है, जबकि पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण के मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ था.
- तब भी मिशन पूरी तरह चुपचाप किया गया था और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी घोषणा की थी. आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद देश को संबोधित करते हुए इसकी घोषणा की.
- भारत इंदिरा गांधी के जमाने में ही परमाणु शक्ति के तौर पर उभरा था, लेकिन उसके बाद किसी सरकार ने दोबारा परमाणु परीक्षण नहीं किया था. लेकिन तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया के विरोध को पीछे छोड़ राजनीतिक इच्छा शक्ति जताई और फैसला किया.
- अंतरिक्ष में हुए मिशन शक्ति में भी ऐसा ही हुआ है, इसे पूरा करने में भारत 2012 में ही सक्षम था, लेकिन तब से अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ था, लेकिन अब जाकर मिशन पूरा हुआ है.
Source : News Nation Bureau