सत्रहवीं लोकसभा के अंतिम चरण के चुनाव की समाप्ति के बाद सभी दलों के नेता, कार्यकर्ता पड़े मतों की समीक्षा में लगे हुए है. ऐसे में गाजीपुर में भी दलीय अंकगणित व कमेस्ट्री पर जीत और हार की समीक्षा में लगे हुए है. गाजीपुर लोकसभा में 2014 के मुकाबले 3 फीसदी से ज्यादा मत पोल हुए है. इस बार के लोकसभा चुनाव में 58.60 फीसदी मत पड़े है और बढ़े हुए मत को लेकर भी अंकगणित लगाया जा रहा है. इस अंकगणित और केमेस्ट्री को समझने के लिए सर्व दलीय के चाय पर चर्चा करते हुए समझने की कोशिश की गई है.
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गठबंधन के नेताओं का मानना है कि 2014 में सपा बसपा और कौमी एकता दाल जो अफ़ज़ाल अंसारी की पार्टी थी ये सभी अलग अलग चुनाव लड़े थे और उस दौरान मनोज सिन्हा मात्र 32 हजार से कुछ ज्यादा वोट से चुनाव जीते थे. लेकिन 2019 में ये सभी दाल एक साथ चुनाव लड़े थे तो इस अंकगणित के हिसाब से गठबंधन प्रत्याशी चुनाव भारी मतों से जीत रहे हैं और जो इस बार वोट फीसदी बढ़े हैं. इसमें गठबंधन और बीजेपी दोनों को मिले हैं. वहीं बीजेपी समर्थक वोट पोल होने के बाद अंकगणित और केमेस्ट्री की बात कर रहे हैं. विपक्ष चुनावी अंकगणित लगा रहे हैं, वो केमेस्ट्री के आगे फेल है.
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केमेस्ट्री ये है कि मनोज सिन्हा के विकास के आगे अंकगणित पर केमेस्ट्री भारी पड़ रही है. विकास के नाम पर जाति बंधन का गणित फेल है. जो इस बार के बढ़े हुए मत फीसदी का फायदा मनोज सिन्हा को मिल रहा है. फिलहाल विकास बनाम जाति समीकरण का चुनाव रहा है और मनोज सिन्हा के द्वारा जिले में कराए गए विकास को पक्ष और विपक्ष इनकार नहीं कर रहा है. फिलहाल यहां पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है. आने वाले 23 मई को सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा.
Source : News Nation Bureau