Advertisment

पंजाब : कांग्रेस की स्थिति बेहतर लेकिन किसी पार्टी के लिए राह आसान नहीं

पंजाब में कांग्रेस प्रभावशाली स्थिति में है. यहां लोकसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. अमरिंदर सिंह दो साल पहले सत्ता में आए थे.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
पंजाब : कांग्रेस की स्थिति बेहतर लेकिन किसी पार्टी के लिए राह आसान नहीं
Advertisment

पंजाब में लोकसभा चुनावों के लिए रविवार को मतदान होगा. लेकिन अन्य राज्यों से हटकर इस सीमा से लगे राज्य में मुकाबला कांग्रेस के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी अकाली दल के बीच सिमट कर रह गया है. पंजाब में कांग्रेस प्रभावशाली स्थिति में है. यहां लोकसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. अमरिंदर सिंह दो साल पहले सत्ता में आए थे. राष्ट्रीय चुनाव होने व इसके परिणाम का उनकी सरकार के प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने का दावा करने के बावजूद भी मतदाता उनकी मध्यावधि परीक्षा के मूड में हैं.

अकाली दल के लिए भी राह आसान नहीं है. अंदरूनी कलह से अलग होकर बने टकसाली समूह से पार्टी में खलबली है. सिख मतदाताओं के बीच पवित्र धर्मग्रंथ को अपवित्र करने को लेकर नाराजगी और इसके बाद प्रदर्शनकारियों पर अकाली शासन के दौरान पुलिस फायरिंग को लेकर अभी भी गुस्सा बना हुआ है.

और पढ़ें: पत्‍नी ने तरेरीं आंखें तो मान गए नवजोत सिंह सिद्धू, प्रियंका गांधी के साथ साझा किया मंच

साल 2014 में मोदी लहर पंजाब में असफल रही थी. पंजाब एकमात्र राज्य रहा जहां आम आदमी पार्टी (आप) चार सीटें मिली थीं. आप का आगे बढ़ना कांग्रेस की कीमत पर था. कांग्रेस 13 सीटों में से सिर्फ तीन सीट जीतने में कामयाब रही थी, जबकि अकाली दल-भाजपा गठबंधन को छह सीटें मिली थीं.

आप में उलट-पलट होने से व पार्टी के ज्यादातर प्रमुख चेहरों व मौजूदा सांसद पटियाला से धर्मवीर गांधी व फतेहपुर साहिब से हरिंदर सिंह खालसा के पार्टी छोड़ने से अकाली दल व कांग्रेस दोनों आप की तरफ से चिंतामुक्त है. वे त्रिकोणीय लड़ाई के बजाय सीधे मुकाबले को लेकर खुश हैं.

राज्य की समग्र राजनीतिक हालात को देखते हुए कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन कई तरह के समीकरणों के कारण उसे हर सीट पर कड़ी टक्कर मिलने जा रही है.

कुछ इलाकों में राज्य सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है और भाजपा को भरोसा है कि हिंदू वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाएंगे, कम से कम बड़े शहरों जैसे अमृतसर व लुधियाना में.

गरीबों के लिए पिछली सरकार की कई योजनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य में अनियंत्रित ड्रग्स कारोबार पर रोक लगाने का वादा किया था जो अधूरा रहा है. बेरोजगारी का मुद्दा केंद्र व राज्य, दोनों सरकारों को कठघरे में खड़ा कर रहा है.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ में बोले पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की विचारधारा 'हुआ तो हुआ'

कई स्थानीय मुद्दे भी प्रमुखता से उठ रहे हैं. जैसे पाकिस्तान के साथ मौजूदा तनाव के कारण सीमा व्यापार बंद होने से करीब चालीस हजार लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है. सीमावर्ती गावों के किसान सीमा पर बाड़ लगने से समस्या का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके खेतों तक उनकी पहुंच मुश्किल हो गई है.

Source : IANS

congress Shiromani Akali Dal bjp aap punjab election General Election 2019
Advertisment
Advertisment
Advertisment