लोकसभा चुनाव का परिणाम जारी हो गया है और इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी पांच साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में वापसी करने वाले भारत के तीसरे प्रधानमंत्री बन रहे हैं. इससे पहले जवाहरलाल नेहरू और मनमोहन सिंह पूर्ण कार्यकाल के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे. आम चुनाव 2019 के गुरुवार को आए परिणाम के बाद यह तय है कि नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 1951-1952, 1957 और 1962 में जीत हासिल की थी.
प्रधानमंत्री रहते हुए मई 1964 में नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने. उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री कभी आम चुनाव का दौर नहीं देखा क्योंकि भारत-पाक के बीच 1965 के युद्ध के बाद ताशकंद की संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद वह 1966 में चल बसे.
इसके बाद शास्त्री की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रही नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी और उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने 1967 के आम चुनाव में जीत हासिल की, हालांकि संख्या बल में थोड़ी कमी रह गई.
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गांधी ने एक साल पहले ही 1971 में चुनाव करवाया और उनको भारी बहुमत मिला. उसी साल भारत ने उनकी अगुवाई में पाकिस्तानी सेना को परास्त किया और पाकिस्तान से अगल बांग्लादेश को अस्तित्व में लाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
इसके चार साल बाद अदालत के एक फैसले में उनको चुनाव में कदाचार का दोषी ठहराने के बाद विपक्ष की ओर से उन पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया जिसके बाद उन्होंने देश में 1975 में आपातकाल की घोषणा कर दी. आपातकाल के कारण 1976 में चुनाव नहीं हो पाया.
इंदिरा गांधी ने 1977 में आपातकाल वापस लिया और आम चुनाव की घोषणा कर दी. चुनाव में जनता पार्टी के बैनर तले विपक्षी एकजुटता ने उनको सत्ता से बेदखल कर दिया.
इसके बाद बनी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 1980 में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आई. प्रधानमंत्री रहते हुए 1984 में उनकी हत्या हो जाने के बाद उनके पुत्र राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने.
उन्होंने उसी साल के आखिर में आम चुनाव की घोषणा कर दी. राजीव गांधी को लोकसभा की 533 सीटों पर हुए चुनाव में से 414 सीटों पर जीत मिली.
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हालांकि उनके कार्यकाल में बोफोर्स तोप सौदे की खरीद में भ्रष्टाचार को लेकर लगे आरोपों के कारण 1989 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और विश्वनाथ प्रताप सिंह जनता दल सरकार में प्रधानमंत्री बने. उनको भारतीय जनता पार्टी ने बाहर से समर्थन दिया था.
लेकिन भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा को लेकर पैदा हुए तनाव के बाद भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया जिसके कारण सरकार गिर गई. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से बनी सरकार में चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली. लेकिन राजीव गांधी की जासूसी करने का सरकार पर आरोप लगने के बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया.
इसके बाद 1991 में चुनाव हुआ. चुनाव प्रचार के दौरान ही राजीव गांधी की हत्या हो गई और कांग्रेस सहानुभूति का लाभ लेकर सत्ता में आई.
पी. वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया, लेकिन वह 1996 के आम चुनाव में सत्ता से बाहर हो गए. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार महज 13 दिनों तक ही चली और बहुमत नहीं मिलने के कारण उन्होंन इस्तीफा दे दिया.
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उनके बाद संयुक्त मोर्चा गठबंधन की सरकार बनी जिसके पहले प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा बने. उनके बाद आई. के. गुजराल प्रधानमंत्री बने. हालांकि यह गठबंधन सरकार दो साल तक ही चल पाई और 1998 में फिर चुनाव हुआ.
फिर वाजपेयी दोबारा प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार एक साल बाद ही गिर गई. फिर चुनाव हुआ और 1999 में भाजपा फिर सत्ता में आई और वाजपेयी प्रधानमंत्री बने.
इस बार वह पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रहे. लेकिन 2004 के चुनाव में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई और कांग्रेस की अगुवाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार बनी और प्रधानमंत्री का पद मनमोहन सिंह ने संभाला.
मनमोहन सिंह एक कार्यकाल पूरा करने के बाद 2009 में लगातार दोबारा सत्ता में आए. इसके बाद 2014 के आम चुनाव में भाजपा की अगुवाई में एनडीए (NDA) को भारी बहुमत से जीत मिली और मोदी प्रधानमंत्री बने.
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2014 के बाद फिर 2019 में एनडीए (NDA) को प्रचंड बहुमत मिला है और मोदी फिर अगले पांच साल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.
Source : IANS