अपने विवादित बयानों के चलते मीडिया की सुर्खियों में बने रहने वाले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बेगूसराय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सामने एक बार फिर विवादित बयान दे दिया है. उन्होंने मंच से ही मुस्लिम समुदाय के लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कब्र के लिए तीन हाथ जगह चाहिए तो इस देश में वंदे मातरम गाना होगा और भारत माता की जय बोलनी होगी.
वो इतने पर ही चुप नहीं हुए उन्होंने आगे कहा कि, अगर तुम ऐसा नहीं कर पाओगे तो देश तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि बिहार की धरती को कुछ लोग रक्त रंजित करना चाहते हैं सांप्रदायिक आग फैलाना चाहते हैं लेकिन जब तक बीजेपी की सरकार है तब तक बिहार ही नही बल्कि बेगूसराय की धरती पर भी ऐसा नहीं होने देंगे.
इसके बाद उन्होंने जनता दल के दरभंगा से उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दिकी के एक तथाकथित वक्तव्य का जवाब देते हुए कहा कि 'RJD के उम्मीदवार दरभंगा में कहते हैं कि वंदे मातरम मैं नहीं बोलूंगा. बेगूसराय में भी कुछ लोग आकर बड़े भाई का कुरता और छोटे भाई का पायजामा पहनकर भ्रमण कर रहे हैं. लेकिन मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि जो वंदे मातरम नहीं गा सकता, जो भारत की मातृभूमि को नमन नहीं कर सकता वो इस बात को याद रखें कि अरे गिरिराज के नाना-दादा सिमरिया घाट में गंगा नदी के किनारे मरे, उसी भूमि पर कोई कब्र नहीं बनाया लेकिन तुम्हें तो तीन हाथ जगह चाहिए. तुम ऐसा नहीं कर पाओगे तो देश तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा.'
अब सुनिए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को जिन्होंने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह के सामने बेगुसराय कि मंच पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को कहा है कि अगर क़ब्र के लिए तीन इंच ज़मीन चाहिए तो आपको वंदेमातरम् का गानऔर भारत माता की जय कहना होगा।अन्यथा देश तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेगी । pic.twitter.com/ZrkHNkH5Au
— manish (@manishndtv) April 24, 2019
जानकारों की माने कि गिरिराज सिंह इस बार जब नीतीश कुमार के साथ मंच पर होते हैं तब वो सबका साथ सबका विकास और सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने की बातें करते हैं लेकिन जब वे अपने मंच पर और अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने बोल रहे होते हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाने पर रखने से नहीं चूकते. यहां हम एक और बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि मौजूदा बेगूसराय में मुकाबला त्रिकोणीय होने के नाते उन्हें इस बात का अंदेशा हो गया है कि जबतक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होगा तब तक चुनाव जीतना आसान नहीं होगा जिसके लिए उन्होंने ऐसे मुद्दे छेड़े हैं.