Guna Lok Sabha Seat: गुना लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती है. गुना लोकसभा सीट कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह को यहां से बनाया है प्रत्याशी 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया BJP के केपी यादव ने सिंधिया को 1,25,549 वोट से हराया था 7 मई को लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे फेज की वोटिंग होगी.चुनाव में जीत के लिए सभी प्रत्याशी अपना पूरा दम-खम लगा रहे हैं... मध्यप्रदेश की गुना सीट से इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया इलेक्शन लड़ रहे हैं. सिंधिया छठी बार है लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी की टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में
ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. मतदाताओं को साधने के लिए सिंधिया ने गुना में आयोजित एक रैली में कहा कि आपका और हमारा खून का रिश्ता है. मैं जीता हूं तो आपकी रखवाली के लिए जीता हूं. किसी भी संकट की घड़ी में सिंधिया परिवार आपके साथ हमेशा खड़ा है. सिंधिया का भाषण तो दमदार है. लेकिन यह तो चुनावी नतीजे ही बता पाएंगे कि सिंधिया के इन भाषणों का मतदाताओं पर कितना असर पड़ा है. 53 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी की टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं.
14 बार ये सीट सिंधिया परिवार के खाते में गई
गुना सीट पर 2 उपचुनाव सहित 18 बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें 14 बार ये सीट सिंधिया परिवार के खाते में गई है... साफ शब्दों में कहे तो इस सीट पर सिंधिया परिवार का दबदबा रहा है... ग्वालियर के बाद गुना सीट सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती है. ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ये सीट हार गए थे. तब बीजेपी के कृष्ण पाल सिंह यादव ने सिंधिया को 1,25,549 वोटों के अंतर से हराया था. गुना संसदीय क्षेत्र में करीब 2.25 लाख यादव वोटर हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने इसी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए तब के कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कांग्रेस से ही आए केपी यादव को टिकट दिया था. पार्टी का गणित ठीक रहा.
यादवेंद्र के पिता देशराज सिंह यादव दो बार बीजेपी से विधायक रहे
गुना सीट उस समय भी ज्यादा चर्चा में आ गई थी जब मोदी लहर में केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर देश के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी. इस बार कांग्रेस ने बीजेपी का ही दांव चला है. राव यादवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा. यादवेंद्र के पिता देशराज सिंह यादव दो बार बीजेपी से विधायक रहे हैं. हालांकि कांग्रेस का ये दांव कितना काम करता है ये को चुनाव के बाद ही पता चलेगा... ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगर बात करें तो सिंधिया ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है.. पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. 2002 में हुए उपचुनाव से लेकर 2014 तक सिंधिया 4 बार सांसद चुने गए.
मोदी सरकार में वो नागरिक उड्डयन एंव विमानन मंत्री सिंधिया
सिंधिया 2009 में केंद्र की यूपीए सरकार में उद्योग राज्यमंत्री रहे. हालांकि 2019 में चुनाव केपी यादव से लोकसभा हारने के बाद 2020 में सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए... इसके बाद बीजेपी से राज्यसभा सांसद चुने गए. मोदी सरकार में वो नागरिक उड्डयन एंव विमानन मंत्री हैं.. बीजेपी ने सिंधिया को गुना लोकसभआ सीट से टिकट दिया है. सिंधिया की जीत के लिए उनका परिवार उनके लिए चुनाव प्रचार कर रहा है... ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे और बेटा महान आर्यमन प्रचार कर रहे हैं... सिंधिया के बेटे ने कहा है कि जो समस्या है, उसका हल मैं खुद लेकर आऊंगा. सिंधिया फैमिली का आपसे सियासी नहीं बल्कि दिली रिश्ता है. सिंधिया फैमिली ने हमेशा क्षेत्र के लोगों की है. खैर, अब देखना ये होगा कि गुना सीट पर जीतकर ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो पाते हैं या फिर पिछली बार की तरह हार जाते हैं...
Source : News Nation Bureau