भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में 300 सीटें जीतना देश के चुनावी इतिहास की 9वीं घटना है. संसद के 543 सदस्यीय निचले सदन लोकसभा में भाजपा पहले ही 302 सीटें जीत चुकी है और एक सीट पर जीत दर्ज करने से कुछ दूर है.
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लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, आजादी के बाद 1952 में पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (jawaharlal nehru) के नेतृत्व में 543 सीटों में से 398 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद नेहरू ने 1957 और 1962 में फिर एक और बार यह कारनामा दोहराया. जब उन्हें 1957 में 537 में से 395 सीटें हासिल हुईं और 1962 में 540 सीटों में से 394 सीटें उन्होंने जीती.
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1967 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के नेतृत्व में कांग्रेस ने 553 में से 303 सीटें जीती थीं. 1971 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी ने 553 सीटों में से 372 सीटें जीतकर दो-तिहाई बहुमत प्राप्त किया था. 1977 में जब आपातकाल के बाद छठी लोकसभा का चुनाव हुआ तो चार कांग्रेस विरोधी दलों के विलय से बनी जनता पार्टी ने उस समय 557 में से 302 सीटें जीतीं.
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हालांकि, यह सरकार अस्थिर रही और 1980 में नए सिरे से चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस 566 सदस्यीय लोकसभा में 377 सीटों के साथ फिर से सत्ता में आ गई. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर ने कांग्रेस को उनके बेटे राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के नेतृत्व में 567 सीटों में से 426 सीटें मिली थीं. 1989 से 2014 के बीच तक कोई भी पार्टी अकेले अपने दम पर विजेता के रूप में नहीं उभरी और सभी सरकारें गठबंधन के साथ बनीं.
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यह पहला मौका है जब केंद्र में पहली बार कोई गैर कांग्रेसी सरकार पूर्ण बहुमत से दोबारा सत्ता में आई है. यह मोदी मैजिक ही है जिसके जरिए बीजेपी 2 से 303 सीटों तक पहुंच गई. लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी को मिला प्रचंड बहुमत इस बात कहा सबूत है कि बीजेपी अब लोगों की पहली पसंद है. करीब 15 से अधिक राज्यों में बीजेपी को 50 फीसद से अधिक वोट मिले.
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बीजेपी को यहां तक पहुंचने में कई उतारचढ़ाव देखने पड़े. 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से देश में सहानुभूति की लहर चल रही थी तो उसमें बीजेपी के दो नेता संसद पहुंच पाए थे. तब कांग्रेस ने उनका और पार्टी का मजाक उड़ाया था.