लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों के लिए मतदान रविवार को होगा. इस चरण में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों में मनोज सिन्हा, अनुप्रिया पटेल, और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह और भोजपुरी फिल्म अभिनेता रविकिशन सहित कई दिग्गजों की राजनीतिक किस्मत का फैसला होगा. इस चरण के लिए चुनाव प्रचार शुक्रवार शाम पांच बजे समाप्त हो गया. आइए जानते हैं कि आखिरी चरण की हाईप्रोफाइल सीटों पर कैसा है राजनीतिक समीकरण...
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वाराणसी
वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले कोई ऐसा दमदार प्रत्याशी नहीं है, जो उनसे टक्कर लेता दिख रहा हो. विपक्षी एकजुटता न होना मोदी के लिए वॉकओवर माना जा रहा है. यहां से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के लड़ने की चर्चा थी. लेकिन बाद में काग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी अजय राय को टिकट दे दिया. गठबंधन (सपा) ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनका पर्चा रद्द होने के बाद शालिनी यादव को प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. वाराणसी में प्रधानमंत्री के चुनाव मैदान में होने से आस-पास की सीटों पर लाभ मिलने की बीजेपी को उम्मीद है.
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गोरखपुर
गोरखपुर लोकसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कहा जाता है. यह सीट पिछले लगभग 29 सालों से बीजेपी के पाले में रही है. लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव में समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने इस सीट पर जीत दर्ज कराई थी. इस बार बीजेपी ने यहां से भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता रविकिशन को उम्मीदवार बनाया है. गठबंधन ने यहां से रामभुआल निषाद को मैदान में उतारा हैं.
रामभुआल प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री और दो बार विधायक रहे हैं. पिछड़ों के बीच मजबूत पकड़ वाले नेता रामभुआल बीजेपी को कांटे की टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मधुसूदन त्रिपाठी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं. बीजेपी मोदी के नाम, योगी के काम और गोरखपुर की दो साल में हुई तरक्की की बुनियाद पर चुनाव लड़ रही है. जबकि गठबंधन ने जातिगत समीकरण की मजबूत गोट बिछा रखी है. इस सीट पर मुख्यमंत्री योगी की भी प्रतिष्ठा दांव पर है.
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चंदौली
चंदौली में बीजेपी अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय 2014 में भले मोदी लहर में जीत गए हों, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं दिख रही है. बनारस जिले की दो विधानसभा सीटों को शामिल कर बने इस संसदीय क्षेत्र से सपा ने संजय चौहान को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को मैदान में उतारा है. पांडेय को सपा-बसपा गठबंधन से चुनौती मिल रही है. लेकिन गठबंधन में स्थानीय कलह और पाण्डेय द्वारा कराए गए कार्य उनको मजबूती दे रहे हैं.
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गाजीपुर
पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा मांधाता का गढ़ माना जाने वाला गाजीपुर जातीय समीकरणों में उलझी एक और जंग का साक्षी बनने जा रहा है. वाराणसी से सटी गाजीपुर सीट से एक बार फिर केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा चुनाव मैदान में हैं. ठबंधन ने यहां से अफजाल अंसारी को टिकट दिया है, जो बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई हैं. कांग्रेस ने अतीत प्रताप कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. इस तरह 17 प्रत्याशी मैदान में हैं और यह लगभग तय है कि जातिगत आधार पर वोटों का बंटवारा मुकाबले को किसी के लिए एकतरफा नहीं रहने देगा.
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मिर्जापुर
मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के उन चंद चुनिंदा संसदीय सीटों में से एक है जिसकी अपनी ही राजनीतिक महत्ता है. यहां से अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया सिंह पटेल सांसद हैं, इस पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. इस बार भी अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां से गठबंधन सपा के टिकट पर राजेंद्र एस. बिंद चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने ललितेश पति त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में मोदी सरकार की कोशिश होगी कि प्रदेश के अन्य सीटों की तरह यहां से भी जीत हासिल करे, लेकिन बदलते समीकरण के बाद यहां की लड़ाई आसान नहीं कही जा सकती.
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कुशीनगर
2019 के आम चुनाव में यह इलाका लहर और उदासीनता के बीच की स्थिति में दिख रहा है. कुशीनगर से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की किस्मत का फैसला होना है. यहां से बीजेपी ने विजय दुबे को टिकट दिया है, जबकि गठबंधन की तरफ से सपा के नथुनी प्रसाद कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी के सामने जहां इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस एक दशक बाद फिर सीट झटकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. भले ही इस सीट को सपा या बसपा कभी जीतने में कामयाब नहीं रही है, लेकिन अबकी अपना परचम लहराने के लिए दोनों गठबंधन कर मैदान में हैं.
गौरतलब है कि अंतिम चरण में 19 मई को जिन सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें महराजगंज, गोरखपुर, बांसगांव, घोसी, कुशीनगर, देवरिया, सलेमपुर, वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, राबर्ट्सगंज और मीर्जापुर शामिल हैं. इन 13 संसदीय सीटों पर 2.32 करोड़ मतदाता 167 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. इस में चरण के लिए कुल 13979 मतदान केंद्र और 25874 मतदान बूथ बनाए गए हैं. अंतिम चरण के लिए चुनाव प्रचार शुक्रवार शाम पांच बजे समाप्त हो गया. अब उम्मीदवार घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर सकेंगे. मतगणना 23 मई को होगी.
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