लगता है अयोध्या में राम मंदिर पर कांग्रेस अपने स्टैंड में बदलाव ला रही है. तभी तो राम मंदिर की पैरोकारी करने वाले प्रमोद कृष्णम को लखनऊ से टिकट दिया है. प्रमोद कृष्णम लखनऊ में केंद्रीय गृह मंत्री का मुकाबला करेंगे. वहीं महागठबंधन की ओर से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को उतारने का फैसला किया है. पिछले दिनों News Nation के कॉन्क्लेव "राष्ट्र. रक्षा. राष्ट्रवाद.'' में प्रमोद कृष्णम ने अब तक राम मंदिर न बन पाने के पीछे नरेंद्र मोदी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने राम मंदिर बनाने की जबर्दस्त पैरवी की थी.
बीजेपी की ओर से अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन शुरू करने के बाद से कांग्रेस लगातार देश की राजनीति में हाशिये पर खिसकती चली गई. हालांकि 2004 में कांग्रेस नीत यूपीए ने देश की सत्ता में जबर्दस्त वापसी की, लेकिन 2014 के चुनाव में एक बार फिर न सिर्फ देश की सत्ता से बाहर हुई, बल्कि कई अहम राज्यों में उसे पराजय झेलनी पड़ी. इस तरह राम मंदिर का मुद्दा कांग्रेस के लिए कमजोर कड़ी साबित हुई है.
हालांकि राहुल गांधी ने जब से कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है, तब से पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह अपनाती दिख रही है. गुजरात के चुनावों में राहुल गांधी मंदिर-मंदिर गए थे और पार्टी में जान फूंकने की कोशिश की थी. यह कोशिश कामयाब भी हुई पर जीत नहीं दिला सकी. उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के दौरान भी राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व का चोला ओढ़े रखा.
उससे पहले राहुल गांधी कैलास मानसरोवर भी गए थे और वहां से ध्यान में लीन खुद की फोटो भी टि्वटर पर साझा की थी. माना जाता है कि कांग्रेस को समझ में आ गया है कि हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करके और मुसलमानों को खुश करके वह दोबारा सत्ता में नहीं आ सकती. इसलिए पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल पड़ी है. राहुल गांधी खुद को बड़ा शिवभक्त बताते हैं.
राहुल गांधी की राह पर चलते हुए ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मंदिर-मंदिर घूम रही हैं. हालांकि अयोध्या दौरे के समय वह रामलला के दर्शन करने नहीं गई थीं और बीजेपी ने इसे भुनाने की भरपूर कोशिश भी की. लेकिन प्रयागराज और बनारस के दौरे के समय वे कई मंदिरों में गईं और बनारस में काशी विश्वनाथ के दर्शन भी किए.
कांग्रेस अब बीजेपी के सबसे बड़े मुद्दे राम मंदिर पर ही उसे घेरने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस सवाल उठा रही है कि 5 साल के शासनकाल में बीजेपी ने राम मंदिर बनाने के लिए कोई गंभीर पहल नहीं की, जबकि केंद्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी उसकी सरकार है. दूसरी ओर बीजेपी अदालत में मामला होने की दुहाई दे रही है. बीजेपी के आलोचक अदालत में मामला लंबित होने के तर्क से इत्तेफाक नहीं रखते.
आलोचकों का कहना है कि केंद्र सरकार दलितों के लिए संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है, गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए संशोधन विधेयक ला सकती है तो राम मंदिर के लिए संसद से विधेयक पास क्यों नहीं कराती. 5 साल में राम मंदिर के लिए कुछ न कर पाने को लेकर ही कांग्रेस बीजेपी को निशाना बना रही है. प्रमोद कृष्णम भी इसे लेकर बीजेपी को घेरते रहे हैं. शायद इसीलिए कांग्रेस ने प्रमोद कृष्णम पर दांव लगाया है, ताकि वे और मुखर होकर इसके लिए आवाज बुलंद कर सकें और बीजेपी को घेर सकें. बता दें कि पिछले चुनाव में प्रमोद कृष्णम संभल से चुनाव लड़े थे.
Source : Sunil Mishra