2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से कुशीनगर एक ऐसी सीट थी जिस पर कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त थी. लेकिन नरेंद्र मोदी की सुनामी में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई. पुलवामा और एयर स्ट्राइक के बाद बदले हुए चुनावी माहौल में इस बार भी कांग्रेस की ओर से RPN सिंह ही उम्मीदवार हैं. बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं और सपा-बसपा गठबंधन के तहत यह कुशीनगर सपा के खाते में गई है. उम्मीद है सपा की ओर से एक बार फिर राधेश्याम सिंह ताल ठोकेंगे. कुल मिलाकर इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय होगा.
महात्मा बुद्ध की धरती पर इस बार लड़ाई जोरदार होने वाली है क्योंकि यह सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआरपीएन सिंह के नाम से जानी जाती है, जो स्थानीय रियासत से ताल्लुक रखते हैं. 2009 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वह मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री बने और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में शुमार आरपीएन सिंह के लिए इस बार लड़ाई त्रिकोणीय होगी क्योंकि एक ओर बीजेपी इस बार अपनी सीट बचाने की हरसंभव कोशिश में होगी वहीं प्रदेश में बदले राजनीतिक समीकरण के बाद सपा-बसपा गठबंधन एक साथ चुनाव लड़ने जा रहा है, ऐसे में जीत किसके पाले में जाएगी, कुछ भी कह पाना संभव नहीं.
ऐतिहासिक महत्व
महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर की अंतरराष्ट्रीय पहचान है और बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए इस स्थल का खास महत्व है. यह सीट पहले पहले पडरौना के नाम से जानी जाती थी. लेकिन अब इसका नाम कुशीनगर हो गया है. कुशीनगर को पहले कुशीनारा के नाम से जाना जाता था, बाद में वह कुशीनगर हो गया. सीएम सिटी गोरखपुर से यह 50 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां पर कई देशों के बनाए भव्य बौद्ध मन्दिर हैं. यह एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी है.
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राजनीतिक पृष्ठभूमि
2008 से पहले यह संसदीय क्षेत्र पडरौना के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर को संसदीय सीट का दर्जा मिल गया और यहां हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने अपना खाता खोला. कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) ने 2009 में यहां पर जीत हासिल की थी. उन्होंने इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के स्वामी प्रसाद मौर्य को 21,094 मतों के अंतर से हरा दिया.
पिछले चुनाव
- आरपीएन सिंह के पिता कुंवर चंद्र प्रताप नारायण सिंह (सीपीएन सिंह) ने कांग्रेस के टिकट पर 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव जीता था.
- 1977 (जनता दल) को छोड़ दिया जाए तो 1984 तक हर बार कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की.
- 1989 में भी जनता दल ने फिर से चुनाव जीता. लेकिन इसके बाद 1991 से 1999 तक लगातार 4 बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राम नगीना मिश्रा ने जीत हासिल की.
- 2004 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के बलेश्वर यादव ने जीत हासिल की थी. 2014 में बीजेपी फिर से जीतने में कामयाब रही.
विधानसभा की 5 सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दल का कब्जा
- हाटा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के पवन केडिया ने समाजवादी पार्टी के राधेश्याम सिंह को 53,076 वोटों के अंतर से हराया था. रामकोला विधानसभा सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के रामानंद बौद्ध ने सपा के पूर्णमासी देहाती को 55,729 मतों के अंतर से हराया था.
- खड्डा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के जटाशंकर त्रिपाठी ने बहुजन समाज पार्टी के विजय प्रताप कुशवाहा को 38,497 मतों से हराया था.
- पडरौना विधानसभा से बीजेपी के स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा के जावेद इकबाल को 40,552 मतों के अंतर से हराया था. कुशीनगर से बीजेपी के रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने 2017 के चुनाव में बसपा के राजेश प्रताप राव को 48,103 मतों के अंतर से हराया था.
कुशीनगर में 82 फीसदी जनता सामान्य वर्ग से
- यह आबादी के लिहाज उत्तर प्रदेश का 21वां सबसे घनी आबादी वाला जिला है.
- जातिगत आधार पर देखा जाए तो सामान्य वर्ग की 82 फीसदी जनता यहां रहती है तो अनुसूचित जाति की 15 फीसदी अनुसूचित जनजाति की 2 फीसदी आबादी यहां पर है.
- 2011 की जनगणना के मुताबिक कुशीनगर की आबादी 35.6 लाख (35,64,544) है.
- इसमें पुरुषों की संख्या 51 फीसदी यानी 18.2 लाख है जबकि महिलाओं की संख्या 17.5 लाख यानी 49 फीसदी है.
- हिन्दुओं की 82.28 फीसदी (29,28,462) आबादी है जबकि मुस्लिमों की 17.4 फीसदी (14,97,055)
- साक्षरता दर के मामले में 65 फीसदी आबादी पढ़ी-लिखी है, जिसमें 78 फीसदी पुरुष और 52 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं.
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2014 का जनादेश
2014 में कुशीनगर में दूसरा लोकसभा चुनाव कराया गया. इस चुनाव में 14 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राजेश पांडे उर्फ गुड्डू ने कांग्रेस के आरपीएन सिंह को हराया था. आरपीएन सिंह पिछली बार के सांसद थे लेकिन इस बार वह जीत नहीं सके. राजेश पांडे को 3,70,051 यानी 38.9% मत मिले जबकि आरपीएन सिंह को 284,511 (29.9%) मत मिले. राजेश ने यह चुनाव 85,540 (9.0%) मतों के अंतर से जीता.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA