तेजस्‍वी-तेजप्रताप की लड़ाई में फंस गई RJD, एनडीए ने लील ली जमीन

बिहार में 5 दल मिलकर भी एनडीए के 3 दलों का मुकाबला नहीं कर सके. एनडीए ने राष्‍ट्रीय जनता दल का सूपड़ा साफ कर दिया.

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Sunil Mishra
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तेजस्‍वी-तेजप्रताप की लड़ाई में फंस गई RJD, एनडीए ने लील ली जमीन

राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)

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इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में जो हुआ, उसका अंदाजा न तो बीजेपी को था और न ही विपक्षी महागठबंधन या उसके अगुवा राजद को. 1990 के बाद पहली बार लालू प्रसाद यादव या उनकी पार्टी राज्‍य की राजनीति में अब हाशिए पर पहुंच गए लगते हैं. एनडीए ने शानदार प्रदर्शन कर राष्‍ट्रीय जनता दल, हिन्‍दुस्‍तान अवाम मोर्चा, रालोसपा, वीआई और कांग्रेस की कमर तोड़ दी है. राज्‍य में 5 दल मिलकर भी एनडीए के 3 दलों का मुकाबला नहीं कर सके. एनडीए ने उनकी पूरी जमीन भी निगल ली. यह पहली बार है कि राज्‍य में राजद की ओर से लोकसभा में प्रतिनिधित्‍व करने वाला भी कोई नहीं बचा. राजद को इस समय सबसे अधिक किसी की जरूरत है तो वे हैं पार्टी के करिश्‍माई नेता और राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री और भूतपूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव.

इस समय लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के कई मामलों में जेल की सजा काट रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम जान-सुनकर वे जरूर कसमसा रहे होंगे कि काश, मैं बाहर होता तो अपनी पार्टी और अपने लोगों के लिए कुछ कर पाता. राजद इस समय सबसे अधिक अनाथ महसूस कर रहा है. पार्टी के कई नेता भी लालू प्रसाद यादव की जरूरत पर बल दे चुके हैं. शायद इसी कारण चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक प्रयास हुए थे पर सफलता नहीं मिली.

राजद इस समय अनुभवहीन तेजस्‍वी यादव के सहारे है. पार्टी का प्रदर्शन बताता है कि तेजस्‍वी यादव में वो बात नहीं है जो लालू प्रसाद यादव में थी. उसमें भी तेजप्रताप के साथ उनके मतभेद और पारिवारिक कलह पार्टी के ग्राफ को लगातार नीचे ले जा रहे हैं. तेजप्रताप का तलाक का केस और पार्टी प्रत्‍याशी और उनके ससुर चंद्रिका राय को लेकर बयानबाजी ने भी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया. कई सीटों पर तेजप्रताप के बागी सुर और दूसरे प्रत्‍याशियों की मदद करने की घोषणा से भी राजद को गहरा धक्‍का लगा.

दूसरी ओर, राज्‍य में शासन कर रही जनता दल यूनाइटेड के पास नीतीश कुमार जैसा नेता है, जो शरद यादव के जाने के बाद भी पार्टी की एकजुटता बरकरार रखने में सफल रहे. राजद का साथ छोड़ बीजेपी से मिलकर सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के बारे में यह कहा जा सकता है कि उस समय उनका फैसला कितना सटीक था.

दूसरी ओर बीजेपी नेताओं का साथ और पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह का निर्देशन एनडीए की बड़ी जीत का रोडमैप बनाता चला गया. राजद पारिवारिक कलह में उलझी रही और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी का साथ भी उन्‍हें नहीं मिला तो दूसरी ओर पीएम मोदी और अमित शाह के अलावा नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी ने एनडीए की जीत की जमीन तैयार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

HIGHLIGHTS

  • बिहार में 5 दलों का महागठबंधन भी नहीं कर पाया NDA का मुकाबला 
  • तेजस्‍वी की अनुभवहीनता और अपरिपक्‍व फैसलों ने पार्टी को हाशिए पर ढकेला
  • तेजप्रताप प्रकरण और परिवार की कलह ने भी आत्‍मघात का काम किया 
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