बिहार में अंतिम और सातवें चरण के 19 मई को होने वाले चुनाव को लेकर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने पैतृक जिले नालंदा में जनता दल (युनाइटेड) के उम्मीदवार को विजयी बनाना जहां सियासी प्रतिष्ठा का सवाल है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के चार मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद, पाटलिपुत्र से रामपाल यादव, आरा से आऱ क़े सिंह और बक्सर से अश्विनी चौबे की सियासी किस्मत का फैसला मतदाता रविवार करेंगे. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिष्ठा भी इस चरण में कसौटी पर होगी.इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद की प्रतिष्ठा भी पाटलिपुत्र सीट पर दांव पर लगी हुई है. यहां लालू की पुत्री मीसा भारती को केंद्रीय मंत्री और महागठबंधन के प्रत्याशी रामकृपाल यादव से कड़ी टक्कर मिल रही है.
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बिहार में सातवें चरण में आठ संसदीय क्षेत्रों पाटलिपुत्र, पटना साहिब, नालंदा, बक्सर, आरा, जहानाबाद, सासाराम, काराकाट के लिए मतदान होना है. अगर उम्मीदवारों पर नजर डाला जाए तो इस चरण में कई दिग्गज चुनाव मैदान में खम ठोंक रहे हैं. पटना संसदीय क्षेत्र के दो भागों में बंटने के बाद अस्तित्व में आए पटना साहिब में बीजेपी से अलग हो कर कांग्रेस के टिकट पर फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी तीसरी जीत के लिए जहां संघर्ष कर रहे हैं, वहीं बीजेपी की टीम से चुनावी पिच पर पहली बार उतरे केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बार राजग के अन्य दलों के भरोसे सिन्हा को 'खामोश' करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
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यह सीट दोनों गठबंधनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है. दोनों गठबंधनों के लिए यह सीट कितना महत्वपूर्ण है, इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यहां रोडशो तक कर चुके हैं.राजधानी की दूसरी सीट पाटलिपुत्र पर भी महागठबंधन और राजग की प्रतिष्ठा दांव पर है. यादव और भूमिहार बहुल इस क्षेत्र में पिछले चुनाव में मोदी लहर के बीच रामकृपाल यादव लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती को हराकर लोकसभा पहुंचे थे.
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इस चुनाव में एक बार फिर मीसा और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव का मुकाबला है. मीसा के प्रचार के लिए लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में भाई तेजस्वी और मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मोर्चा संभाला है. दोनों उम्मीदवार यादव हैं, लेकिन लालू के नाम पर तेजस्वी यादवों की सहानुभूति मीसा के पक्ष में करने में कामयाब रहे तो केंद्रीय मंत्री रामकृपाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.मीसा को वामपंथी मतदाताओं का भी समर्थन मिलने की संभावना है, जबकि रामकृपाल को गठबंधन के अन्य दलों के वोट बैंक और प्रधानमंत्री के चेहरे पर भरोसा है.
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बिहार के मुख्यमंत्री का गृह जनपद नालंदा भी प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है. इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बल्कि पूरा राजग प्रयासरत है. मुख्यमंत्री भी नालंदा में कई चुनावी सभाएं कर मतदाताओं को आकर्षित करने में लगे हैं. जद (यू) ने यहां से एकबार फिर कौशलेन्द्र कुमार को, जबकि महागठबंधन की ओर से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने अशोक कुमार आजाद पर दांव लगाया है.
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आरा संसदीय क्षेत्र में केंद्र सरकार में गृह सचिव रहे बीजेपी नेता आऱ क़े सिंह दूसरी बार ताल ठोंक रहे हैं, जहां उनका मुकाबला भाकपा (माले) उम्मीदवार राजू यादव से है. राजू यादव को राजद और कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया है.
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पौराणिक क्षेत्रों में शुमार बक्सर सीट पर भी मतदाता 19 मई को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. बक्सर सीट पर इस चुनाव में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल बीजेपी नेता अश्विनी चौबे दूसरी बार चुनावी रण में उतरे हैं. उनको राजद के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है.
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इस चरण में सासाराम सीट पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. कांग्रेस ने यहां से दिग्गज नेता जगजीवन राम की विरासत संभाल रही और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को चुनावी मैदान में एकबार फिर उतारा है. वहीं उनका मुकाबला एक बार फिर बीजेपी के छेदी पासवान से है. यह सीट कांग्रेस ही नहीं, महागठबंधन के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है.
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महागठबंधन के लिए चुनौती काराकाट सीट भी है, जहां से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को जद (यू) के महाबली सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है. जहानाबाद सीट से जद (यू) के चंद्रेश्वर प्रसाद मांझी, राजद के सुरेंद्र यादव और रालोसपा (सेकुलर) के अरुण कुमार के बीच मुकाबला माना जा रहा है.इस चुनाव में राजग में जहां बीजेपी, लोजपा और जद (यू) शामिल हैं, वहीं महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा, हम के अलावा कई अन्य छोटे दल शामिल हैं.
Source : IANS