Lok sabah election 2019 : अमेठी,वाराणसी समेत इन 12 सीटों पर होगी पूरे देश की नजर

इस बार चुनाव में वाराणसी, रायबरेली, अमेठी, अमृतसर, गांधीनगर समेत 12 बड़ी सीटों पर नजर रहेगी.

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Drigraj Madheshia
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Lok sabah election 2019 : अमेठी,वाराणसी समेत इन 12 सीटों पर होगी पूरे देश की नजर

प्रतिकात्‍मक चित्र

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इस बार लोकसभा चुनाव में वाराणसी, रायबरेली, अमेठी, अमृतसर, गांधीनगर समेत 12 बड़ी सीटों पर नजर रहेगी.  रायबरेली में 2004 से सोनिया यहां से जीत रही हैं. सोनिया से पहले इंदिरा भी रायबरेली से तीन बार सांसद रहीं. वहीं वाराणसी में 2014 में नरेंद्र मोदी और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के बीच यहां मुकाबला था. बाजी मारी नरेंद्र मोदी ने. ऐसी अन्‍य सीटें जिनपर रहेगी पूरे देश की नजर...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी

  • बीजेपी यहां 1991 में पहली बार जीती. तब से यह सीट भाजपा के कब्जे में रही है
  • 2004 में यहां कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा जीत सके थे.
  • 2014 में नरेंद्र मोदी और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के बीच यहां मुकाबला था.

गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी

  • 2004 से राहुल गांधी सांसद है
  • राहुल से पहले उनकी मां सोनिया, पिता राजीव और चाचा संजय यहां से सांसद रह चुके हैं.
  • 1967 में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. तब से आज तक कांग्रेस यहां से सिर्फ दो बार 1977 और 1998 में हारी. 1977 में जनता लहर में लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को हराया था.
  • जबकि, 1998 में कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को भाजपा के संजय सिंह ने मात दी थी.

गांधी परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली

  • 2004 से सोनिया यहां से जीत रही हैं. सोनिया से पहले इंदिरा भी रायबरेली से तीन बार सांसद रहीं.
  • 1952 से 2014 तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस यहां सिर्फ तीन बार हारी.
  • पहली बार 1977 में यहां से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोकदल के राज नारायण ने हराया था.
  • वहीं, 1996 और 1998 में जब गांधी परिवार कांग्रेस में सक्रिय नहीं था तब भी पार्टी यहां से हार गई थी.

भाजपा की परंपरागत सीट लखनऊ

  • 1991 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 5 बार यहां से सांसद रहे.
  • 2009 में लालजी टंडन भाजपा के टिकट पर यहां से जीते. पिछली बार राजनाथ सिंह यहां से जीतकर संसद पहुंचे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र गोरखपुर

  • योगी से पहले उनके गुरु महंत अवैध नाथ 1989 और 1991 में यहां से सांसद रहे.
  • 1996 से लगातार ये सीट योगी ने जीती. योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा यहां सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद से हार गई.

सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट गुना

  • इस सीट पर जब भी सिंधिया परिवार का कोई सदस्य चुनाव में खड़ा हुआ, उसे जीत ही मिली.
  • अब तक के 16 लोकसभा चुनावों में सिर्फ तीन बार 1952, 1962 और 1984 में इस परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ा. राजमाता यशोधरा राजे सिंधिया यहां से 6 बार, माधवराव सिंधिया 4 बार यहां से अलग-अलग दलों के टिकट पर सांसद रहे.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा

  • आम चुनावों में कांग्रेस यहां कभी नहीं हारी, सिर्फ 1997 में हुए उप-चुनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था.
  • कमलनाथ यहां से 10 बार सांसद चुने गए. 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ सांसद बनी.

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की परंपरागत सीट इंदौर

  • 1989 से सुमित्रा महाजन यहां से जीत रही हैं. एक बार फिर वे यहां टिकट की दावेदार हैं. 2018 में राज्य में हुए विधासनभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट में आने वाली 8 में से तीन सीटों पर जीती थी.

राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का क्षेत्र सवाई-माधोपुर

  • इस सीट पर कोई भी दल लगातार तीन बार नहीं जीत सका है.
  • 2014 में ये सीट भाजपा के खाते गई थी. इससे पहले 2004 और 2009 में यहां से कांग्रेस जीती.
  • 2018 में राज्य में हुए विधासनभा चुनाव में सवाई-माधोपुर लोकसभा सीट में आने वाली 8 में से 6 सीटें कांग्रेस ने जीतीं.

शरद यादव की मधेपुरा सीट

  • आरजेडी से राजेश रंजन (पप्पू यादव) इस सीट से सांसद हैं. यादव 2004 में भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं.
  • शरद यादव यहां से चार बार (1991, 1996, 1999 और 2009) सासंद रहे.
  • 2014 में उन्हें पप्पू यादव ने मात दी. इसके बाद उन्होंने 2016 में लोकतांत्रिक जनता दल बनाया.
  • बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी 1998 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.

लालकृष्ण आडवाणी का गांधीनगर

  • भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी यहां से 6 बार (1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014) से सांसद हैं.
  • अब पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को भी टिकट देने का फैसला किया है. ऐसे में आडवाणी एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का निर्वाचन क्षेत्र नागपुर

  • नागपुर ऐसी लोकसभा सीट है, जो कांग्रेस ने 1977 में इंदिरा विरोधी लहर में भी नहीं गंवाई.
  • 1962 (निर्दलीय) और 1971 (फॉरवर्ड ब्लॉक) छोड़ दें तो 1991 तक हुए बाकी लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस ही जीती.
  • 1996 में यहां से भाजपा के बनवारी लाल पुरोहित जरूर जीते लेकिन 1998, 1999, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विलासराव मुत्तेमवार जीतते रहे.
  • 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नितिन गडकरी को टिकट दिया और पार्टी को कांग्रेस के गढ़ में जीत मिली.

Source : News Nation Bureau

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