लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election) के लिए पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल 8 सीटों पर 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. लगभग सभी सीटों पर प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. माना जा रहा है बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में पहला चरण काफी कठिन होगा. उसे सपा-बसपा और आरएलडी के गठजोड़ से कड़ी चुनौती मिलेगी, लेकिन आंकड़े तो कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं. अगर बात करें 2019 के पहले चरण के चुनाव की तो कहीं-कहीं सपा और बसपा के कुल वोटों (Lok Sabha Election 2014) को मिलाने के बाद भी गठबंधन काफी पीछे नजर आता है.
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2014 के चुनावों में भाजपा को 42.63 प्रतिशत मिले थे, BSP और SP के वोटों को मिला लिया जाए तो वे कुल मतदान का 42.11 प्रतिशत बैठता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस बार SP और BSP का गठबंधन इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकता है.2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा 42.63 वोट लेकर उत्तर प्रदेश में 71 सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी जबकि बसपा 19.77 प्रतिशत वोट लेकर एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। समाजवादी पार्टी भी 22.35 प्रतिशत वोट लेकर सिर्फ 5 सीटें जीत सकी थी।
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सबसे पहले बात गाजियाबाद की. गाजियाबाद सीट से पिछली बार बीजेपी से जनरल वीके सिंह उम्मीदवार थे. वीके सिंह को कुल 32 फीसद वोट मिले जबकि कांग्रेस को 8 फीसद. बीएसपी को सिर्फ 7 प्रतिशत मतों से संतष करना पड़ा. अगर पिछले चुनाव की बात करें तो यहां गठबंधन की राह मुश्किल है और वह बीजेपी से काफी पीछे है.
इस बार गाजियाबाद लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी और बीएसपी महागठबंधन ने सुरेश बंसल को टिकट दिया है। जबकि बीजेपी की तरफ से वीके सिंह दोबारा चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने डॉली शर्मा पर दांव लगाया है.
गौतमबुद्धनगर
अगर पिछले चुनाव की बात करें तो यहां बीजेपी के महेश शर्मा 30% वोट पाकर विजयी हुए थे. सपा के नरेंद्र भाटी को 16% और बीएसपी के सतीश कुमार को 9% वोट मिले. इस बार सपा और बसपा साथ मिलकर लड़ रहे हैं. पिछले आंकड़ों की बात करें तो सपा और बीएसपी का वोट प्रतिशत मिलाकर 25 फीसद हुआ. अब भी वो बीजेपी से 5 प्रतिशत कम है. यानी इस सीट को जीतने के लिए गठबंधन को खूब पसीना बहाना पड़ेगा.
बागपत
रालोद प्रमुख अजित सिंह के गढ़ में पिछले साल बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने कमल खिलाया था. बीजेपी को 28%, सपा के गुलाम मोहम्मद को 14% और रालोद के अजित सिंह को 13% वोट मिले थे. इस बार यहां से अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी ताल ठोंक रहे हैं. बीजेपी से सतपाल सिंह मैदान में हैं. जहां तक आंकड़ों की बात करें तो सपा और आरएलडी के मतों को मिला लें तो भी बीजेपी द्वारा प्राप्त कुल वोटों से कम पड़ेंगे. यहां मुकाबला थोड़ा बराबरी का हो सकता है.
मुजफ्फरनगर
दंगों के बाद यह सीट पिछले चुनाव में काफी चर्चा में रही. बीजेपी के फायर ब्रांड नेता संजीव कुमार बालियान 41% वोट पाकर संसद पहुंचे. दूसरे नंबर पर बीएसपी के कादिर राणा रहे जिन्हें केवल 15% मत मिले. बसपा के विरेन्दर सिंह 10% वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. यहां सपा और बीएसपी दोनों मिलकर 25 फीसद वोट पाए यानी अगर इस चुनाव में भी ऐसा ही हाल रहा तो गठबंधन को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. यहां इस बार आरएलडी से चौधरी अजित सिंह और बीजेपी से संजीव कुमार बालियान ताल ठोंक रहे हैं.
सहारनपुर
पिछले चुनाव में बीजेपी से राघव लखनपाल 29% वोट पाकर संसद पहुंचे जबिक कांग्रेस के इमरान मसूद 25% वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. बीएसपी के जगदीश सिंह राणा 14% वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. जहिर है यहां भी गठबंधन की राह आसान नहीं है.
मेरठ
इस सीट पर बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल 30% वोट पाकर जीते. बीएसपी के मो शाहिद अख्लाक 17% वोट पाकर दूसरे और सपा के शाहिद मंज़ूर 12% वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. यहां सपा-बसपा दोनों अलग-अलग लड़े. दोनों का कुल वोट शेयर 29 फीसद हुआ. यानी इस चुनाव में यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.
बिजनौर
लोकसभा चुनाव 2014 में बिजनौर से बीजेपी के भारतेन्दु सिंह 31% वोट पाकर विजयी हुए. दूसरे नंबर पर सपा के शहनवाज राना को 17% और बीएसपी के मालूक नागर को 14% फीसद वोट मिले थे. सपा और बसपा दोनों के मतों को अगर मिला दिया जाए तो यहां मुकाबला कड़ा हो सकता है.
कैराना
जहां तक कैराना की बात करें बीजेपी के हुकुम सिंह 36% वोट पाकर सपा के नाहिद हुसैन (21%) को हराया था. यहां बीएसपी के कनवर हसन 10% वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि कैराना उपचुनाव बीजेपी हार गई थी. इस बार बीजेपी ने यहां से अपना प्रत्याशी बदल दिया है.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA