सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव 2019 के लिए चुनाव प्रचार अब खत्म हो चुका है. सातवें और अंतिम चरण के तहत 19 मई को वोटिंग होगी. आखिरी चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर रविवार को वोट डाले जाएंगे. इसी के साथ ही अब लोग 23 मई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस बार नतीजे आने में थोड़ी देरी हो सकती है. उपचुनाव आयुक्त सुदीप जैन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस बार मतगणना में 5 गुना अधिक वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना के कारण चुनाव परिणाम में कम से कम 4 घंटे तक का विलंब हो सकता है.
इस चुनाव में देशभर से लगभग 90 करोड़ मतदाता हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कुल मतदाताओं की संख्या 81.45 करोड़ थी, यानी पिछले पांच साल में देशभर में लगभग साढ़े आठ करोड़ मतदाता बढ़ गए. बता दें इस चुनाव में डेढ़ करोड़ से ज़्यादा मतदाता ऐसे हैं, जिनकी आयु 18 से 19 साल के बीच है, यानी वह पहली बार मताधिकार का इस्तेमाल कर चुके हैं या करेंगे. ये मतदाता देश के कुल मतदाताओं का 1.66 फीसदी हैं. चुनाव के लिए देशभर में दस लाख मतदान केंद्र स्थापित किए गए.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को 69.43 प्रतिशत मतदान हुआ था, दूसरे चरण (18 अप्रैल) और तीसरे चरण के मतदान (23 अप्रैल) में लगभग 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं चौथे चरण (29 अप्रैल) में 64 प्रतिशत और 6 मई को हुए पांचवें चरण के मतदान में 57.33 प्रतिशत मतदान हुआ. इसके बाद 12 मई को हुए छठे चरण में 63.3 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.
क्या होगी व्यवस्था?
स्ट्रांग रूम में बंद ईवीएम की कंट्रोल यूनिट 23 मई की सुबह पांच बजे मतों की गणना के लिए बाहर निकाली जाएंगी. कलेक्ट्रेट कोषागार के डबल लॉक में सुरक्षित रखी चाबी को विधानसभावार नामित ईआरओ मतगणना स्थल पर लेकर आएंगे. चाबी को सुबह चार बजे कोषागार में मौजूद जिला निर्वाचन अधिकारी, प्रेक्षकों के सामने CTO के द्वारा ERO को सौंपी जाएगा. स्ट्रांग रूम का ताला सुबह पांच बजे प्रेक्षकों व प्रत्याशी एजेंटों की मौजूदगी में खुलेगा. इसके बाद सुबह 6 बजे से मॉक काउंटिंग प्रशिक्षण और 8 बजे से मतों की गणना शुरू होगी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत लागू इस व्यवस्था के अंतर्गत विधानसभा चुनाव में मतगणना के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से एक मतदान केंद्र की वीवीपीएटी की पर्चियों का औचक मिलान किया जाता रहा है. शीर्ष अदालत के हाल में दिए गए आदेश के तहत अब लोकसभा चुनाव की मतगणना में भी प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी की पर्चियों का ईवीएम के मतों से औचक मिलान किया जाएगा.
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चुनाव आयोग ने सात चरणों के चुनाव के लिए देश में 10.35 लाख पोलिंग स्टेशन हैं, जबकि 2014 के चुनावों में करीब 9.28 लाख स्टेशंस ही बनाए गए थे. इन चुनावों में करीब 39.6 लाख EVM और 17.4 लाख वोटर वेरिफिएबल पेपर ट्रेल मशीन्स (VVPAT) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें रिजर्व भी शामिल हैं.
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एक अधिकारी ने चुनाव नियमों का हवाला देते हुए बताया कि ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्ची के मिलान में विसंगति पाए जाने पर वीवीपीएटी की पर्ची को वैध माना जायेगा. उन्होंने बताया कि निर्वाचन नियमावली के नियम 56 डी (4) बी और 60 के तहत ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में दर्ज कुल मत और वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना में अंतर पाए जाने पर वीवीपीएटी को वरीयता दी जाएगी.
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हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतगणना के दौरान ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान में अब तक कभी विसंगति होने का कोई उदाहरण नहीं है. मतगणना संबंधी परिवर्तित व्यवस्था के तहत आयोग को इस बार लोकसभा चुनाव की मतगणना में कुल 20600 मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना करनी होगी. एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 800 से 2500 तक होती है.