मध्य प्रदेश का लोकसभा चुनाव कई दिग्गज नेताओं के लिए केवल चुनाव भर नहीं है. वीडी शर्मा, दिग्विजय सिंह, शिवराज सिंह चौहान समेत कई नेताओं के लिए यह चुनाव सियासी भविष्य का चुनाव है. चुनाव में जीत हासिल हुई तो भविष्य संवर जाएगा. मौजूदा लोकसभा चुनाव कई नेताओं का सियासी भविष्य तय करने वाला है. चुनाव जीते तो सियासी करियर में चार-चांद लग जाएंगे और हार गए तो करियर खत्म. यह फार्मूला केवल पहली दूसरी बार चुनाव लड़ रहे नेताओं पर लागू नहीं होता है बल्कि सूबे की सियासत तय करने वाले सियासी दिग्गजों पर भी लागू होता है. मसलन, दिग्विजय सिंह को ही ले लीजिए...
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दिग्विजय सिंह
- राजनीतिक संन्यास लेने की घोषणा के बाद लड़ रहे हैं चुनाव
- राजगढ़ से जीत मिली तो बड़ी जिम्मेदारी पक्की
- चुनाव में हार मिली तो राजनीतिक कैरियर पूरी तरह खत्म
शिवराज सिंह चौहान
- दो दशक तक मध्य प्रदेश में राज करने वाले शिवराज
- अब केंद्र में अहम भूमिका मिलने की संभावना
- लोकप्रिय नेता की छवि के बाद केंद्र में जिम्मेदारी नहीं मिली तो लगेंगे सवालिया निशान
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वीडी शर्मा
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में शुभंकर की बनी छवि
- खजुराहो सीट से जीत के बाद केंद्र में अहम पद मिलने की संभावना
- लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी में भूमिका बदलने की उम्मीद
राजनीतिक भविष्य लोकसभा चुनाव की परफॉरमेंस से तय होगी
जीतू पटवारी और उमंग सिंघार का राजनीतिक भविष्य लोकसभा चुनाव की परफॉरमेंस से तय होगी. फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र सिंह और गणेश सिंग जीते तो सियासी वापसी होगी. हारे तो राजनीति खत्म. सुधीर गुप्ता, रोडमल नागर और जनार्दन मिश्र के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है. हार हुई तो राजनीतिक करियर खत्म. चुनाव के रिजल्ट 4 जून को आएंगे लेकिन बीजेपी और कांग्रेस अपने नेताओं की जीत और परफॉर्मेंस के प्रति अश्वस्त नजर आती हैं. राजनीतिक दावे की असली तस्वीर 4 जून को साफ होगी. पांचवें चरण में 57.62 फीसदी मतदान हुआ. सबसे अधिक बंगाल में मतदान हुआ है। यहां पर 73 फीसदी वोटिंग हुई। वहीं महाराष्ट्र में सबसे कम मतदान हुआ। यह 49 प्रतिशत के आसपास रहा है.
Source : News Nation Bureau